Book Title: Gyanbhandaro par Ek Drushtipat
Author(s): Punyavijay
Publisher: Gujarat Vidyasabha

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ऊपर जो परिचय दिया गया है वह मात्र दिग्दर्शन है जिससे प्रस्तुत प्रदर्शनी में उपस्थित की हुई नानाविध सामग्री की पूर्व भूमिका ध्यानमें आ सके । यहाँ जो सामग्री रखी गई है वह उपर्युक्त भाण्डारोमेंसे नमूने के तौर पर थोड़ी थोड़ी एकत्र की है। जिन भाण्डारोंका मैंने ऊपर निर्देश नहीं किया उनमें से भी ध्यान खींचे ऐसी अनेक कृतियाँ प्रदर्शिनी में लाई गई हैं, जो उस उस कृतिके परिचायक कार्ड आदि पर निर्दिष्ट हैं । ताड़पत्र, कागज, कपड़ा आदि पर किन साधनोंसे किस किस तरह लिखा जाता था ?, ताड़पत्र तथा कागज़ कहाँ कहाँसे आते थे ?, वे कैसे लिखने लायक बनाए जाते थे, सोने, चाँदीकी स्याही तथा इतर रंग कैसे तैयार किए जाते थे?, चित्रकी तूलिका आदि कैसे होते थे? इत्यादि बातोंका यहाँ तो मैं संक्षेपमें ही निर्देश करूँगा । बाकी, इस बारेमें मैंने अन्यत्र विस्तारसे लिखा है। १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30