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दया
भादवा सुदि पूर्णिमा
दया की चाबी राजीनामा ....
धर्म के योग्य अधिकारी का दसवाँ गुण दया है। संसार और मोक्ष की चाबियाँ गुरु भगवन्त ने बतलाई है किन्तु जब तक सच्ची चाबी अपने हाथ नहीं लगती तब तक चाबियों के बड़े से बड़े गुच्छे भी क्या काम के? क्योंकि जिस आलमारी को खोलना हो उसमें वही चाबी लगाई जाती है। सच्ची चाबी का ख्याल नहीं और अनेक चाबियाँ लगाकर हैण्डल घुमाता रहे तो क्या आलमारी खुल जाएगी? नहीं । सेठ नौकर को कार्य मुक्त करे, उसके पहले ही यदि नौकर स्वयं ही राजीनामा प्रस्तुत कर दे तो वह सत्कार योग्य माना जाएगा! वह दूसरों को कह सकता है- सेठ, बराबर वेतन नहीं देते थे, ऐसे थे वैसे थे। उसी प्रकार तुम इन समस्त पदार्थों को अनीति युक्त व्यापार करके इकट्ठा करते हो। वे पदार्थं तुमको एक दिन छोड़ने ही वाले हैं। वे पदार्थ तुम्हें छोड़ें उसके पहले तुम ही उन पदार्थों को छोड़ दो तो? छोटे लड़के के हाथ में कोयला हो और उस कोयले को उसके हाथ से छुड़वाना हो तो पहले प्यार से उसे चॉकलेट देनी पड़ती है। चॉकलेट प्राप्त होते ही वह छोटा बालक कोयले को हाथ से फेंक देता है। वह नासमझ छोटा सा बालक भी समझ सकता है कि अच्छी वस्तु मिलने पर खराब वस्तु छोड़ देनी चाहिए। यदि तुम लोग इन तुच्छ पदार्थों को छोड़ें तो उसके स्थान पर परम कृपालु परमात्मा मिलते हैं, किन्तु हमें परमात्मा की उच्चता का ध्यान नहीं है। अथवा हम लोग इस नासमझ बालक से भी कमजोर पड़ते है। खणं जाणाहि पंडिया ....
आकाश में सामान्य बादल छाते हैं तो मनुष्य सोचता है - वाह ! कैसा अच्छा मौसम हो गया है। क्यों न शय्या पर जाकर सो जाएँ, किन्तु