Book Title: Guptavati Yukta Durga Saptashati Author(s): Publisher: View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लने च तत् स्तोत्रपठनक्रमः तत्पुरश्चरणं काम्यप्रयोगे बलिनिर्णयः // 6 // आवृत्तौ पाठवैचित्रामृत्विजान् दक्षिणाक्रमः कवचस्यार्गलायाश्च कोलकस्यार्थवर्णनम्॥७ततो रहस्थतन्त्रस्थ गुरुकीलकलेखन / तदर्थवर्णनं कात्यायनीतन्त्रस्य मुख्यता // 8 // तत्राद्यपटलव्याख्या परोक्ताभासखण्ड नम / ततस्तत्संग्रहशतश्लोक्या अंशन लेखनम् // 8 // स्तोत्राद्यचरितव्याख्या द्वितीयपटलस्य च / तत्संग्रहांशी व्याख्यानं मध्यमेऽथ चरित्रके // 10 // तृतीयपटलव्याख्या ततस्तत्संग्रहांशकः / तृतीयचरितऽध्यायषट्कमन्वार्थवर्णनम् // 21 // चतुर्थपटलव्याख्या ततस्तत्संग्रहांशकः / एकादशादित्रितयमन्त्राध्यायार्थवर्णनम् // 12 // अथ यामलतन्त्रोक्तः प्रकारस्तस्य संग्रहः / ततस्तन्वान्तरप्रोक्त संग्रहांशसमापनम् // 13 // प्राधानिकरहस्यस्य व्याख्या वैवतिकस्य च। ततो मूर्तिरहस्यस्येत्यनुक्रमणिका मता // 14 // तत्र चण्डीनामपरब्रह्मण: पट्टमहिषीदेवता, चण्डभानुश्चण्ड वाद इत्यादावियत्तानवच्छिन्नाऽसाधारणगुणशालिपरत्वेन चण्डपदस्य प्रयोगदर्शनात्, इयत्तायाश्च देशकालवस्तुक्कतत्र विध्येन तादृशपरिच्छेदत्रितयराहित्यस्य परब्रह्म कलिङ्गखात् ; यदापि चडिकोप इति धातीनिष्पत्तिस्तदापि 'कस्य बिभ्यति देवाच जातरोषस्य संयुगे' इत्यादिना (1) प्रसादो निष्फलो यस्य कोपोऽपि च निरर्थकः / न तं भर्तारमिच्छन्ति षण्ड (1) मूलगमायण थोरामविषयक प्रश्नः / For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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