Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
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________________ XXXXX PP.AC.Gunratnasuri M.S. आदीनायनी मार्त स्थापन करी छे. // 45 // त्यां हुं हमेशां रात्रीये जिनपूजा करूं छु. ते वखते सर्वे विद्याधरो चरित्र, Jat कौतुक जोवा माटे एकठा थाय छे. // 46 // अने त्यां लावण्यवाली त्रण राजकन्याओ नाच करे छ, माटे अद्भुत चातुर्यवाली तुं पण निरंतर तेमना मध्ये चोथी था. // 47 // वली रात्रीना पहेला प्रहरने विषे अदृश्य एवं वैमान नित्य आवशे, तेना उपर वेसीने त्हारे जिनमंदिरने विषे आव. // 48 // वली म्हारी रजा विना त्हारे * विवाह पण करवो नहि." ( सारसी सखी गुणवर्मा राजकुमारने कहे छे के.) कन्याये आ सर्व कबुल करयुं / | जिनैपूजामहं रात्रौ, तेत्र कुर्वे निरंतरम्॥ मिलंति" खेचराः सर्वे,'वीवितुं किले कौतुकम्॥ राजकन्या सलावण्यास्तिस्त्रो नृत्यंति तंत्र च॥ त्वमप्यद्भुतचातुर्या,तुर्या तासां नवान्वहम्॥ अदृश्यं प्रथमे यामे, यामिन्या नियमेष्यति // विमान तत्त्वयायागंतव्यं जिनमदिरे॥ नांगीकार्यो विवाहोऽपि ममा देश विना त्वयाशासास्वी कृतेऽखिले तेनै,पुनर्मुक्तास्ववेईमनि स्वस्थीनूता मया पृष्टा,तेसवै निजगाद सा॥अंगापटुत्वव्याजेन,स्थापितोऽस्यास्वयंवरः॥५॥ पिता पृचनिमित्तशमन्यदा दूनमानसः॥ को दोषो विद्यते पुण्याः, सोऽप्यन्नौषत नॅपतिम्॥५१ अस्तिदोषोमहानकोऽपि,दुःसाध्योनिजामपि नपोऽवादित्सुतोसषों, "किंस्थास्यत्य विवाहिता निमित्तझो जगादेवं ,गुणवर्मास्ति नृपतिः॥ सँ एंव पतिरस्त्वस्याः,सकर्ता दोष निर्ग्रहम् 53 * एटले ते विद्याधरे राजकन्याने फरी तेना घरने विषे मूकी. // 49 // पछी में स्वस्थ थयेली ते राजकन्याने पू. छयु एटले तेणे ते सर्व वात कही. त्यार पछी तेनो स्वयंवर शरीर सारुं नहिं होवाना मीषथी बंध राख्यो. // 50 // एक दिवस खेदयुक्त मनवाला शूर राजाए निमित्तियाने पूछयु के, " पुत्रीने शो दोष छ ?" त्यारे निमित्तियाये राजाने कयुं के, // 51 // " उपायना जाणनाराओने पण असाध्य एवो कोई पण म्होटो दोष छे." राजाये कह्यु, " त्यारे ए पुत्री शुं विवाह करया विना रहशे ?" // 52 // निमितियाये कह्यु. " हे राजन् ! गु KXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust ॥धा them

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