Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
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________________ गण म्हारुं पोतानुं कार्य साधुं. कारण के, आ समय फरोथी प्राप्त थवो दुर्लभ छे. // 30 // आ प्रमाणे वे कार्य साथ चरित AS प्राप्त थया जाणीने कुमार व्याकुल थरा लाग्यो. एवामां चंपा नगरीथी वीजो कोई कासद पोतानी पासे आव्यो. // 3 // * // 31 // कासदे पत्र आपी कुमारने कयुं के, " थापने शूर महाराजाए कहेवराव्यु छे के, अहिं कन्या- शरीर as सारं नहिं होवाथी स्वयंवर बंध रह्यो छे. // 32 // पछी प्रसन्न थयेला कुमारे पोताना काशदने पूछयुं के, "पि ताए तने पाछलथी मोकल्यो छे अने तुं आगलथी क्याथो आव्यो?" // 33 // कासदे कयु. " हुं महाराजनी हात्वेति' कार्ययुगलं, व्यग्रेऽथ नेपनंदने ॥पुरकोऽपि सेमायातश्चपातो लेखेंहारकः॥३१ लेखं समर्प्य सोवादीच्छूरेण कथितं हि वैः॥पटुत्वेन केन्यायाः, स्यितो ऽत्रास्ति स्वयंवरः॥ अथ प्रीतो निजं प्रोचे,कुमारो लेखेहारकम्॥पश्चात्वं प्रहितः पित्रा,समागाः पुरतः कुतः॥३३॥ से जंगी स्वामिनिर्देशाचंपामे गतोऽस्म्यहं // अनागतं च तंत्र त्वा,हात्वा व्याधुटित देणात् // पुरं प्राप्तःकुमारोऽथे,पितुःप्रीतिकृतेऽजनि।सोऽपि तस्मै निज"राज्यं,देवा संयमन्नागेनूत३५ व * गुणवर्मार्थ संप्राप्तराज्यः प्राज्यप्रतापनाक् // स्वप्रजापालयामास,वासवोपमलीलया // 36 // सन्नास्थिते नृपेऽन्योद्युई तो वेत्रिनिवेदितः॥ समेतः"प्रोचिवानेवं, पुनर्जातः स्वयंवरः॥३७ गुणवर्मा नृपोऽचालीदेथ प्रेस्थितसेनया // संप्राप्त पुरी चंपा, तस्थिवान रॉजममले॥३० आज्ञाथी चंपा नगर प्रत्येज गयो हतो, पण त्यां तमने नहि आवेला जाणी तुरत पाछो वल्यो. // 34 // पछी कुमार पाछो हस्तिनापुरे आव्यो; तेथी ते पिताने वहु प्रीतिकारी थयो. नरवर्मा राजाये पण तेने पोतानुं राज्य आपी पोते चारित्र लीधुं.॥ 35 // पछी माप्त थयुं छे राज्य जेने अने महा प्रतापवंत एवो गुणवर्मा राजा पोतानी * प्रजा- इंद्रनी पेठे रक्षण करवा लाग्यो. // 36 // एक दिवस गुणवर्मा राजा सभामां बेठो हतो एवामां द्वारपाले / भूपतिनी आज्ञाथो सभामा बोलावेला दुते " महाराज ! फरोथी चंपानगरीमां स्वयंवर थयो छे." एम कह्यु. // 3 // Jun Gun Aaradhak Trust XXXXXXXX

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