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चाहेंगे कि ऐसा हो और जगत् में सर्वत्र शांति का प्रसार हो ।
अन्त में सम्यक् ज्ञानमंडल और उसके सेवाभावी उत्साही मंत्री श्री कांकरियाजी के प्रति पाठकों की ओर से मैं कृतज्ञता प्रकाश करता हूँ, जिनके प्रशस्त सहयोग से यह उपयोगी और जीवन-निर्माण करने वाला साहित्य प्रकाश में आया है।
ब्यावर । ता० ८-६-५७ . )
- शोभाचन्द्र भारिल्ल