Book Title: Granthtrai
Author(s): Vijayanandsuri, Shilchandrasuri
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 4
________________ प्रकाशकीय परमपूज्य परमदयालु संघनायक आचार्य भगवंत श्रीविजयनन्दनसूरीश्वरजी महाराजना रचेला अने अद्यावधि अप्रगट एवा त्रण शास्त्रग्रन्थोने, ते पूज्यपाद श्रीनी जन्मशताब्दीना मंगल वर्षे तेमज तेओ श्रीनी पुण्यस्मृतिमां प.पू. आचार्यमहाराज श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजी महाराजनी प्रेरणा तथा मार्गदर्शनपूर्वक निर्माण पामेला श्रीनन्दनवन - तीर्थ (तगडी) नी प्रतिष्ठाना रूडा अवसरे, प्रकाशित करतां अमो अपार आनंदनी लागणी अनुभवीए छीए. पूज्य आचार्य श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजीए आ ग्रंथोनुं संपादन करीने तेना प्रकाशननो लाभ अमोने आप्यो छे, ते बदल अमो तेमना ऋणी छीए. आ प्रकाशनमां, प.पू.साध्वी श्रीपद्माश्रीजी - प्रमोद श्रीजीनां शिष्या साध्वी श्रीचंद्रप्रभाश्रीजी - हेमप्रभाश्रीजी वगेरेनी प्रेरणाथी, तेओना गुणानुरागी भक्तगणे आर्थिक सहयोग आपेल छे, ते बदल तेओ सर्वेना अमो खूब खूब आभारी छीए. ग्रंथनुं मुद्रणकार्य करी आपनार श्रीहरजीभाई एन. पटेलना पण अमो घणा आभारी छीए. Jain Education International लि. शाह शनुभाई कचराभाई कापडिया बाबुलाल परसोत्तमदास (जैन ग्रन्थ प्रकाशन समिति) खंभात For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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