Book Title: Gommateshwar Bahubali Author(s): Hukamchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 2
________________ गोम्मटेश्वर बाहुबली (एक नया चिन्तन) भारत एक विशाल देश है। उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक हजारों किलोमीटर लंबाई में फैले इस भारतवर्ष में रहन-सहन, खान-पान एवं भाषा आदि अनेक विभिन्नताएँ पाई जाती हैं । अध्यात्म तो भारत की मिट्टी की अपनी विशेषता है - इस कारण दार्शनिक विभिन्नताएँ भी इससे कम नहीं हैं। अनेक जातियों और संप्रदायों का भी यह भारत अजायबघर है। इसप्रकार अखण्ड भारत की एकता के शत्रु साम्प्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद, धार्मिक उन्माद आदि अनेक विघटनकारी तत्त्वों के रहते हुए भी यह भारत यदि संगठित है, एकता के सूत्र में आबद्ध है; तो उसका एकमात्र कारण हमारे येतीर्थ हैं. जो उत्तर से लेकर दक्षिण एवं पूर्व से पश्चिम तक फैले हुए हैं। ये एक ऐसे मजबूत सूत्र हैं, जिनमें विभिन्न वर्गों और गंध वाले पुष्प सुगठित रूप से पिरोये हुए हैं, संगठित हैं और सुशोभित हो रहे हैं। तीर्थों रूपी सूत्र में आबद्ध होकर भारत की इन विभिन्नताओं ने एक रंगबिरंगे सुगंधित पुष्पों की आकर्षक माला का रूप ले लिया है; विघटनकारी विभिन्नता ने आकर्षक एकता का रूप ले लिया है। यह भी एक विचित्र संयोग ही कहा जाएगा कि श्रमण संस्कृति के चौबीसों तीर्थंकर और वैदिक संस्कृति के चौबीसों अवतार उत्तर भारत में ही हुए हैं तथा दोनों ही संस्कृतियों के प्रमुख आचार्य दक्षिण भारत की देन हैं।Page Navigation
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