Book Title: Gommateshwar Bahubali
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 9
________________ गोम्मटेश्वर बाहुबली : एक नया चिन्तन गोम्मटेश्वर बाहुबली : एक नया चिन्तन था, पर जड़ चक्र ने नहीं खोया / वह बाहुबली को प्यार कर वापिस भरत के हाथ में आ गया। उसने बाहुबली को मारा नहीं, अपितु प्यार किया, पर उनके हाथ में रहा भी नहीं, लौट के आया भरत के हाथ में ही। इसप्रकार उसने निर्णय दे दिया कि चक्रवर्ती तो भरत ही है, बाहुबली नहीं। बाहुबली का द्वेष जो भरत के स्पर्श से राग में बदल गया था - इस घटना से वह राग वैराग्य में बदल गया। इस तरह द्वेष राग में और राग वैराग्य में परिणमित हो गया। इसप्रकार भरत चक्रवर्ती बन गये और बाहुबलीउनके भी पूज्य / इसप्रकार बाहुबली के इस सर्वाधिक मार्मिक जीवन-प्रसंग से वर्तमान सन्दर्भ में हम यह बात भी सीख सकते हैं कि गलतफहमियों से उत्पन्न आपसी समस्याओं को यदि हम आमनेसामने बैठकर निपटा लें तो व्यर्थ के संघर्षों से बहुत कुछ बच सकते हैं तथा विनाशक युद्धों को अहिंसात्मक प्रतियोगिताओं में बदल कर विश्व को विनाश से बचाए रख सकते हैं। भगवान बाहुबली के चरणों में शत-शत नमन करते हुए इस मंगल कामना के साथ विराम लेता हूँ कि यह महोत्सव हमारी एकता को मजबूत करे, दिगम्बरत्व की प्रतिष्ठा को वृद्धिंगत करें एवं हम सबको भगवान बाहुबली के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करें। (11)

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