Book Title: Gautamiya Kavyam Author(s): Rupchandra Gani, Kanakvijay Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar FundPage 13
________________ "दशपर्वकथा, सं० १८३९मां जेसलमेरमां यशोधरचरित, "१८४७मां मकसुदाबादमां सूक्तमुक्तावलीवृत्ति, सं० १८५०मां "बीकानेरमां जीवविचार पर वृत्ति". ___ "सं० १८५१ प्रश्नोत्तर सार्धशतक, सं० १८५४मां तर्कसंग्रह "फक्किका, सं० १८५०मां जेसलमेरमा अक्षयतृतीया अने पर्युषण "अष्टाह्निक व्याख्यान, अने ते ज वर्षमां बीकानेरमा मेस्त्रयोदशी "व्याख्या अने सं० १८६९मां (श्री)श्रीपालचरित्रव्याख्या योजेल "छे. ते अरसामा योजायेला तेमना अन्य ग्रन्थो नामे परमसमयसार"विचारसंग्रह, विचारशतकबीजक, समरादित्यचरित, सूक्तरना"वलीवृत्ति आदि छे". x x x x "भाषासाहित्यमा तेमणे जूनी गूजरातीमां गद्यरूपे श्रावकविधि"प्रकाश नामनो ग्रन्थ गुंथ्यो छे. ख० श्रीक्षमाकल्याणे सं० १८३८"मां पाक्षिकादि पडिक्कमणविधि गद्यमां संग्रहित करी तथा प्रश्नोत्तर"सार्धशतक भाषामां रच्यु". पृ० ६७६-८०, पा० ९९४-९९९; प्रस्तुत संपादन अने प्रकाशन : आ गौतमीयमहाकाव्य व्याख्यासहित, आजे प्रथम वार ज प्रसिद्ध थाय छे. अत्यार अगाऊ काशीनी पुस्तक प्रकाशन संस्था द्वारा आ काव्यग्रन्थ केवळ मूळमात्ररूपे प्रकाशनने पाम्यो हतो, ज्यारे श्रेष्ठी देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड संस्था मारफते आ रीतिये प्रस्तुत काव्यग्रन्थ व्याख्यासहित प्रसिद्धिने पामे छे. १ तदुपरांत चतुर्विंशतिजिनचैत्यवंदनो तेमणे संस्कृत भाषामां रच्यां छे, जे हाल प्रचलित छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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