Book Title: Gautamiya Kavyam Author(s): Rupchandra Gani, Kanakvijay Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar FundPage 15
________________ १४ खास तकेदारी आ त्रणेयना सुमेळे मारा हाथे आ रीतिनुं संपादनकार्य थई शक्युं छे. मुख्यतयाए आ ग्रन्थना संपादनने अंगे, हस्तलिखित प्रेसकॉपी - योनो आश्रय लेवायो छे. जे प्रेसकॉपीयो संस्थाना अवैतनीक मंत्री जीवणचंद साकरचंद झवेरी द्वाराये मने प्राप्त थई हती ते, तेम अत्यार अगाउ काशीथी प्रकाशित थयेल मूळग्रन्थ पण आना संशोधननी वेळाये नजर समक्ष राखवामां आव्यो हतो. आ त्रणे य प्रतिओ सामान्य रीतिये अर्ध शुद्ध जेवी हती, आ कारणे महेनत लई, वस्तुसंकलनाने लक्ष्यगत करी यथामति परिमार्जन करवामां आव्युं छे. आमां ज्यां ज्यां संशय जेवुं लाग्युं, त्यां त्यां कौंस वगेरे मूकीने अमुक सूचन कर्यु छे. काशीना मुद्रित पुस्तकमांनी केटलीक स्खलनाओ, संदिग्धताओ वगेरेनो निर्देश अत्र करवामां आव्यो छे अवसरे आवश्यक टीप्पणी पण करवामां आवी छे. केटलीक टीप्पणीओ मूळ प्रतिमां हती ते पण अत्र मूकवामां आवी छे. आ प्रकारना संपादन पछी, श्रेष्ठी देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड संस्थाद्वारा प्रस्तुत गौतमीय - काव्यग्रन्थ व्याख्यासहित प्रकाशनने पामे छे. आ प्रकाशननी पाछळ; श्रेष्ठी दे० ला० जैन पु० फं० संस्थाना प्राणभूत व्यवस्थापक मंत्री झवेरी जीवणचंद साकरचंदनी मूंगी व्यवस्थाशक्ति, यथाशक्ति आपभोग, अने संस्थाना प्रकाशन कार्यने आगळ वधारवानी काळजी; आ त्रणे य वस्तुओनो मेळ कारणभूत छे. आ कारणे आ प्रकाशन आ रीतिये विद्वान जनसमाज समक्ष रजू थाय छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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