Book Title: Ganivijja Sutram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: USA Federation of JAINA

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Page 14
________________ बवे उवद्वावणं कुज्जा, अणुन्नं गणिवायए । सउणीमि य विट्ठीए, अणसणं तत्थ कारए ॥ ५ ॥ दारं-४ ॥ गुरूसुक्क सोम दिवसे, सेहनिक्खमणं करे। वओवट्टावणं कुजा, अणुन्नं गणिवायए ॥ ६ ॥ रविभोमकोणदिवसे, चरणकरणाणि कारए। तवोकम्मणि कारिजा, पाओवगमणाणि य॥ ७॥ दारं-५॥ रुद्दो उ मुहुत्ताणं आई छन्नवइअंगुलच्छाओ। सेओ उ हवइ सट्ठी बारसमित्तो हवइ जुज्झो ॥ ८ ॥ छच्चेव य आरभडो सोमित्तो पंचअंगुलो होइ । चत्तारि य वइरिज्जो दुच्चेव य साव वसू होइ ॥ ९ ॥ परिमंडलो मुहुत्तो असीवि मज्झतिते ठिए होइ। दो होइ रोहणो पुणबलो य चउरंगुलो होइ ॥ ५० ॥ विजओ पंचंगुलिओ छच्चेव य नेरिओ हवड़ जुत्तो। वरुणो य हवइ बारस अज्जमदीवा हवइ सट्ठी ॥१ ॥ छन्नउइअंगुलाई एए दिवसमुहुत्ता वियाहिया । दिवस मुहुत्तगईए छायामाणं मुणेयव्वं ॥ २ ॥ मित्ते नंदे तह सुट्टिए य, अभिई चंदे तहेव या। वरुणग्गिवेसईसाणे, आणंदे विजए इय ॥ ३ ॥ एएस मुहुत्त जोएसु, सेहनिक्खमणं करे। ववद्वावणाई च, अणुन्ना अणिवायए ॥४॥ बंभे वलए वाउम्मि, उसमे वरुणे तहा। अणसणपाउवगमणं, उत्तमठ्ठे च कारए ॥ ५ ॥ दारं-६ ॥ पुन्नामधिज्जसउणेसु, सेहनिक्खमणं करे। श्रीनामेसु सउणेसुं समाहिं कारए विऊ ॥ ६ ॥ नपुंसएस सउणेसु, सव्वकम्माणि वजय । वामिस्सेसु निमित्तेसु, सव्वारंभाणि वज्जए ॥ ७ ॥ तिरियं बहिरंतेसु, अद्धाणगमणं करे। पुम्फियफलिए वच्छे, सज्झायं करणं करे ॥ ८ ॥ दुमखंधे बहिरंतेसु, सेहुवद्वावणं करे। गयणे वाहरंतेसु, उत्तमहं तु कार ॥ ९॥ बिलमूले वाहरंतेसु, ठाणं तु परिगिण्हए। उप्पायम्मि ॥ श्री गणिविज्झा सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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