Book Title: Dwipsagar Pragnapti Sangrahani Author(s): Vijayjinendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 1
________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थाङ्कः २९५ ॥ श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः ।। ॥ श्रीमणिबुद्ध्याणंदहर्षकर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः ॥ KEMENa श्रुतस्थविरविरचिता श्री द्वीपसागर-प्रज्ञप्ति संग्रहणी - संशोधकः संपादकश्च - तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेव-श्रीविजयकर्पूरसूरीश्वर । पट्टधर-हालारदेशोद्धारकपूज्याचार्यदेव-श्रीविजयामृतसूरीश्वर-पट्टधरः पूज्याचार्यदेवश्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरः सहायकः प. पं. श्री भद्रानंदविजय गणिवर शिष्यादिप. मनिराजश्री मुक्तिधनविजय पू. म. श्री पुण्यधन विजयोपदेशेन श्री बारेजा (अमदावाद) श्री श्वेतांबरमूर्तिपूजक जैन संघः प्रकाशयित्री श्री हर्षपुष्पामत जैन ग्रंथमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र)Page Navigation
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