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श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थाङ्कः २९५
॥ श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः ।। ॥ श्रीमणिबुद्ध्याणंदहर्षकर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः ॥
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श्रुतस्थविरविरचिता श्री द्वीपसागर-प्रज्ञप्ति संग्रहणी
- संशोधकः संपादकश्च - तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेव-श्रीविजयकर्पूरसूरीश्वर
। पट्टधर-हालारदेशोद्धारकपूज्याचार्यदेव-श्रीविजयामृतसूरीश्वर-पट्टधरः पूज्याचार्यदेवश्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरः
सहायकः प. पं. श्री भद्रानंदविजय गणिवर शिष्यादिप. मनिराजश्री मुक्तिधनविजय पू. म. श्री पुण्यधन विजयोपदेशेन श्री बारेजा (अमदावाद)
श्री श्वेतांबरमूर्तिपूजक जैन संघः
प्रकाशयित्री श्री हर्षपुष्पामत जैन ग्रंथमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र)
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श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थाङ्कः २९५
|| श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः ॥
|| श्रीमणिबुद्ध्याणंदहर्ष कर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः ॥
श्रुतस्थविरविरचिता
श्री द्वीपसागर - प्रज्ञप्ति संग्रहणी
संशोधकः संपादकश्च
प्रज्याचार्यदेव -श्रीविजय कर्पूरसूरीश्वर -
लाशोद्धारक
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आ ग्रन्थमां २२३
पूज्य
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श्रीविजयामृतसूरीश्वर - पट्टधरः
पूज्याचार्यदेवश्री विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरः
सहायक:
श्री पुण्यधन
पू. पं. श्री भद्रानंदविजय गणिवर शिष्यादिपू. मूनिराज श्री मुक्तिधनविजय पू. मु. विजयोपदेशेन श्री बारेजा ( अमदावाद ) श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघः
प्रकाशयित्री
श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला लाखाबावल - शांतिपुरी ( सौराष्ट्र )
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प्रकाशिका:-श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला (लाखाबावल
Co. श्रुतज्ञान भवन, ४५, दिग्विजय प्लोट, जामनगर (हालार) सौराष्ट्र
वीर सं २५२१
विक्रम सं. २०५१
सन् प्रथमावृत्तिः १९९४ प्रतयः ७५०
आभार दर्शन.
अमारी ग्रन्थमाला तरफथी प्राचीन साहित्य प्रकाशन योजनामां ग्रन्थांक २९५ तरीके आश्रा द्वीपसागर प्रजात संग्रहणी प्रगट करीए छीए तेनुं सदन पू. आ. श्री वित जिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजे कयुं छे.
आ ग्रन्थना प्रकाशन माटे पपू. आचार्यदेवेश श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना पट्टधर पूज्य आ. श्री विजय जितमगांक सूरीश्वरजी म.ना शिष्य रत्न पू. पं. श्री भद्रानंद विजयजी गणिवरना शिष्यादि पू. मु. श्री मुक्तिधन विजयजी म. तथा प.म, श्री पुण्यधनविजयजी म.ना सदुदेशथी श्री श्वेतांबर मतिपूजक संघ बारेजा तरफथी सहकार मल्यो छे ते माटे उपदेशक पू. श्री तथा श्री संपनो आभार मानीए छीए.
ता. १०-१०-९४ शाकमारकेट सामे,
जामनगर
. . महेता मगनलाल चत्र भुज
त्यबस्थापक श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला
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*ROAD OR*
प्रास्ताविक 卐.
KHAN
HARHA*
श्री जैन शासनमां प्रसिद्ध ४५ आगम उपरांत बीजा पण आमम ग्रन्थो छे. जे पक्खीसूत्र आदिमां ते मामो आबे छे तेमां द्वीपसागरप्रज्ञप्ति सूत्रनी नांध छे. ते सूत्रनी आ संग्रहणी छे. जेन रचनार श्रुतस्थविर छे. ___ आ ग्रन्थमा २२३ प्राकृत पद्यो छे जेमां द्वीप समृद्रोनुं वर्णन छे. मनुष्यक्षेत्र बहारना द्वीपोनुं वर्णन अणोदग समुद्र अने अरुणवर द्वीप सुधीनुं वर्णन छ जेमा क्षेत्र तेमज नीचे भवनपति आदि अने उपर चंद्रसूर्यनी पंक्तिओनुं वर्णन छे.
ग्रन्थनं नाम छे ते रीतनुं वर्णन छे. जे पदार्थो अनेक सूत्र अने संग्रहणीओमा आवे छै. जेनो बोध प्राप्त करबो जरूरी ले.
२०५० आसो सुद १५ पीपली बजार,
इन्दोर
जिनेन्द्रसरि
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Bur wor vvironmuy
अनुक्रमः विषयः .. मानुषोत्तरः .. ..
नलिनोदकाद्या नंदीश्वरद्वीप: कुण्डलद्वीपः रुचकद्वीप: शलवरद्वीपः अरुणद्वीपः
शुद्धिपत्रकम् पंक्तिः
चेइयरुक्खा दक्षिण घुक्खरिणो पुवुत्तर तणुओं कणगुत्तमे पंडु केसीए सेलस्सवि रत्नमदीक्स्स धंतरूव चेव सिरिधरे सुष्पभे चेक
सुभद्दभद्दे १८ तं तिगुणं
पक्सो अ पेच्छाघराम
११
2008
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अर्हम्
पू. आ. श्री विजयसिद्धिसूरिभ्यो नमः श्री श्रुतस्थ विरविरचिता
श्रीद्वीपसागरप्रज्ञप्तिसंग्रहणी
( सिरिदीव सागरपण्णत्ति संघयणी )
मानुषोत्तर:पुक्खरवरदीवडुं परिक्खिवइ माणुसोत्तरो सेलो । पायारसरिसरूवो विभयंतो माणुसं लोयं ॥१॥ सत्तरसइबकवीसाइं जोयणसयाई सो समुच्विद्धो । चत्तारि यतीसाइं मूले कोसं च ओगाढो ||२|| दस बावीसाइ अहे विच्छिण्णो होइ जोयणसयाई । सत्त य तेवीसाइं विच्छिण्णो होइ मज्झमि ॥३॥ चत्तारि य चउवीसे वित्थारो होइ उवरि सेलस्स । अड्डाइज्जे दीवे दो वि समुद्दे अणुपरीइ || ४ || तस्सुवरि माणुसनगस्स कूडा दिसि विदिसि होंति । सोलस उ तेसि नामावलियं अहक्क्रम्मं कित्तइस्सामि ॥५॥
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पुवेण तिणि कूडा दक्खिणओ तिष्णि तिण्णि अवरेणं । उत्तरओ तिन्नि भवे चउदिसि माणुसनगस्स ||६|| वेरुलियमसारे खलु त हस्सगब्भे य होंति अंजणगे । अंकामए अरिट्ठे खए तह जायरूवे य ।।७।।
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नवमे य सिलप्पवहे तत्तो फलिहे य लोहियक्खे य । वयराभए य कूडे परिमाणं तेसि वुच्छामि ।।८।। एएसि कुडाणं उस्सेहो पंच जोयणसयाइं पंचेव । जोयणसए मूलम्मि उ होंति विच्छिन्ना ॥९॥ वेरुलियमसारे तिन्नि पन्नत्तरि जोयणसयाई मज्झम्मि। अड्डाइज्ज य सए सिहरतले वित्थडा कूडा ॥१०॥ एगं चेव सहस्सं पंचेव सयाई एगसीयाई । मूलम्मि उ कूडाइं सविसेसो परिरओ होइ ॥११।। एग चेव सहस्सं छलसीयं च तह य हाइ सयमेगं । मज्झम्मि उ कूडाणं बिसेसहीणो परिक्खेवो ।।१२।। सत्तेव जोयणसया एक्काण उ (छ) य च जोयणा होति । सिहरतले कूडाणं विसेसहीणो परिक्खेवो ॥१३॥ ऊसे य संसिया भद्दे तत्तो भवे सुभद्दे य । अठू य सव्वओ रुंदे आणंदे चेव नंदे य ।।१४।। नंदिसेणे य मोडेय गोथुभे य सुदंसणे । पलिओवमट्ठिईया नागसुवन्ना परिवसंति ॥१५॥ दक्खिणपुव्वेणं रयणकूडा गरुलस्स वेणुदेवस्स । सव्वरयणं तु पुव्वत्तरेणं तु वेणुदालिस्स ॥१६॥ रयणस्स अवरपासे तिण्णि वि समइच्छि ऊणं कुडाई। कडं वेलंबस्स उ विलंबसुहियं सया होइ ।।१७।।
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सव्वरयणस्स अवरेण तिण्णि समइच्छिऊण कुडाई । कूडं पभंजणस्सा पभ्रंजणं आढिय होइ ॥ १८॥
नलिनोदकाद्या:
तीसं च सयसहस्सा दस य सहस्सा हवंति बोद्धव्वा । गोतित्थेहि विरहियं खित्तं नलिणोदगस मुद्दे ।। १९ ।। विक्खंभ परिक्खेवो सो चेव कमो उ हाइ नलिणोदे | दस चेव जोयणसए उब्विद्धो न विवसो उवो ||२०||
गाजोयणकोडी छव्वीसा दस य जोयणसहस्मा । गोतित्थेण विरहियं सुरारमे सागरे खेत्तं ॥ २१ ॥ पंचेव य कोडीओ दसुत्तरा दस य जोयणसहस्सा । गोतित्थेण विरहियं खीरबरे सायरे खेत्तं ॥ २२ ॥ वीसं जोयणकोडी छायाली दसय जोयणसहस्सा । गोतित्थेण विरहियं खेत्तं घयसागरे हाइ ||२३|| एगासीइ कोंडीण नउया दस चेव जोयणसहस्सा । गोतित्थेण विरहियं खोयवर से सागरे खेत्तं ||२४|| नन्दीश्वरद्वीप:
तेवट्ट कोडिसयं चउरासीइं च सय सहस्साइं । नंदीसरा वरदीवे विक्खंमो चक्कवालेणं ॥ २५ ॥ एगासीएगनउआइ पचाणउई भवे सहस्साइं । तिण्णेव जोयणसए ओगाहित्ताण अंजणगा ||२६||
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चुलसीइ सहस्साई उविद्धा ते गया सहस्समहे । धरणियले विच्छिण्णा अणूणगे ते दससहस्से ।।२७।। जत्थिच्छसि विक्खम्भं अंजणगणगाउ उ उवरिवत्ताणं । तं तिगुणियं तु काउं अट्ठावीसाए विभयाहि ।।२८।। नव चेव सहस्साइं पंचेव य होति जोयणसयाई । अंजणगपव्वयाणं मूलम्मिउ होइ विक्खंभो ।।२९।। तीसं चव सहस्सा बायालीसं च जोयणाऊणा । अंजणगपव्वयणाणं मूलम्मि उ परिरओ हाइ ॥३०॥ नव चेव सहस्साइं दो चेव सया हवंतिउ अपूण्णा । अंजणगफन्वयाणं धरणियले हाइ विक्खंभो ॥३१॥ एगुणतीससहस्सा सत्तेव सया हवंति छन्वीसा । अंजणगपव्वयाणं धरणियले परिरओ होइ ॥३२॥ पंचेव सहस्साइं दो चेव सया हवंति उ अणणा । अंजणगपव्वयाणं बहु मज्झे हाइ विक्खंभो ॥३३॥ सोलस चेव सहस्सा सत्तेव सया विउत्तरा हति । अंजणगपव्वयाणं बहुमज्झे परिरओ हाइ ॥३४॥ विक्खंभेणं जणगा सिहरतले होति जोयणसहस्सं । तिन्नेव सहस्साइं वावट्ठिसय परिरएणं ॥३५॥ वढंति एगपासे दस गंतूण पएसमेगंतु । वीसं गंतूण हुवे वट्टतिय दोसु पासेसु ॥३६।।
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भिगं गरुइल कजल अंजणधाउ सरिसा विरायंति । गगणतलमणुलिहंता अंजणगा पब्वया रम्मा ॥३७॥ अंजणगपवयाणं सिहरतलेसुं हवंति पत्तेयं । अरहंताययाणाई सीहनिसाईणि तुंगाई ॥३८॥ नर-मगर-विहग-वालग-नामामणिरूव-रइयोहाई। सव्वरयणमयाई अप (अपञ्च)क्खोभभूयाई ।।३९।। जोयणसयमायामा पन्नासं जोयणाई विच्छिन्ना । पन्नत्तरिमुश्विद्धा अंजणगतले जिणाययणा ॥४०॥ अंजणगपव्वयाण उ सयसहस्सं भवे अबाहाए । पुवाए आणुपुवी पोक्खरणीओ उ चत्तारि ॥४१॥ पुवेण होइ नंदा नंदवई दक्खिणे दिसाभाए । अवरेण व गंदुत्तर उत्तरओ नंदिसेणाउ ॥४२॥ एगं च सयसहस्से विच्छिण्णाओ सहस्समोविद्धा । निम्मच्छकच्छभाओ जलभरियाओ अ सवाओ ।४३। पुखरणीण चउदिसि पंचसए जोयणाण बाहाए । पुबाई आणुपुब्बी चउद्दिसिं हेांति वणसंडा ॥४४॥ पागार परिखित्ता सेोहंते ते वणा अहियरम्मा । पंचसए विच्छिन्ना सयस्सहस्सं च आयामा ॥४५।। पूवेण असोगवणं दक्खिगओ हाइ सत्तिवन्नवणं । अवरेण चपयवणं चूयवणं उत्तरे पासे ।।४६॥
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सन्वेसि तु वणाणं वेइयरुक्खा हवंति मजम्मि । नाणारयणविवित्ताहिं परिगया तेऽवि दित्तीहिं ॥४७॥ रयणमुहाउ दहिमुहा पुक्खरणीणं हवंति मजम्मि । दस चेव सहस्सा वित्थरेण चउसट्ठिमुविधा ॥४८॥ एकतीससहस्सा छच्चेव सया हवंति तेवीसा । नगदहासु परिक्खेवो किंचि विसेसेण परिहीणा ।४९। संखदलवि मलनिम्मलदहिघणगोखीरहारसंकासा। गगणतलमणुलिहिता सोहन्ते दहिमुहा रम्मा ॥५॥ पत्तेयं पत्तेयं सिंहरतले होंति दहिमुहनगाणं । अरहंताययणाई सीहनिसाईणि तुंगाणि ॥५१॥ जो दिक्खण अंजणगो तस्व चउद्दिसि च बोद्धव्वा । पुक्खिरिणो चत्तारि कि इमेहि नामेहि विन्नेया।५२॥ पुोण होइ भद्दा होइ सुभद्दाउ दक्खिणे पासे । अवरेण होई ऊमुया उत्तरओ पुण्डरिगिणीओ।।५३।। अवरेण अंजणो जो ऊ होइ तस्व चदिसि होति । पुक्खरिणीओ नामेहि इमेहि चत्तारि विनेया ।।५४।। पुवेण हाइ विजया दक्खिणओ हाइ वेजयंतीओ। अवरेणं तु जयंतीओ अवराइ य उत्तरे पासे ।।५५।। जो उत्तर अंजणगो तस्सेव चउद्दिसं च बोद्धव्वा । पुक्खरिणीओ चत्तारि इमेहिं नामेहिं विन्नेया ॥५६॥
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पुत्रेण नंदिसेणा अमोहा पुण दक्खिणे दिसि विभाए । अवरेण गोच्छभा खलु सुदंसणा होइ उत्तरओ |५७| एकासि एगनउ पाय पंचाणउई भने सहस्साइं । नंदीसरवरदीवे ओगाहित्ताण रइकरगा ॥ ५८ ॥ उच्च उत्तेण सहस्सं अड्डाइज्जे सए य उव्विद्धा । दस चेव सहस्साइं विच्छिण्णा होंति रइकरगा । ५९ । एक्कत्तीस सहस्सा छच्चेव सए हवंति तेवीसे । रइकरग परिक्खेवो किंचि विसेसेण परिहीणो ॥ ६० ॥ एत्तो एक्केकस्स उ सयसहस्सं भवे अबाहाए । पुब्वाइ आणुपुव्वी चउद्दिसि रायहाणीओ | ६१ ॥ जो पुव्वदक्खिणाए रहकरो तस्स चउद्दिसि होंति । सक्क महिस्सीणं एया खलु रायहाणीओ ||६२|| देवकुरु उत्तराकुरा एया पुव्वेण दक्खिणेणं च । अवरेण उत्तरेण य तदुत्तरं नंदिसेणा य ॥६३॥ एगं च सयसहस्सं विच्छिण्णाओ उ आणुपुव्वीए । तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं तु सव्वाओ ॥ ६४ ॥ जो अवरदक्खिणे रयिकरो उ तस्सेव चउदिसं होंति । सक्कग्गमहिसीणं एया खलु रायहाणीओ ||६५॥ भूयाभूयवडिसाय एया पुच्वेण दक्खिणेण भवे । अवरेण उत्तरेण य मणोरमा अग्गिमालीया ॥ ६६ ॥
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अवरुत्तर रइकरगे चउद्दिसि होंति तस्स एयाउ । ईसाणअग्गमहिसीणं ताओ खलु रायहाणीओ ।।६७॥ सोमणस्सा य सुसीमा य पुव्वेणं दक्खिणेणं भवे । अवरेण उत्तरेण य सुदंसणा चेव मोहाय ॥६८।। पुव्वत्तर रइकरगे तस्सेव चउद्दिसि भवे एया । ईसाण अग्गमहिसीण सालपरिवेढिय तणूठो (प्राकारपरिक्षेप्तेत्यर्थ:) ॥६९।। रयणप्पहायरयणा पुवेणं दक्खिणेणं भवे । सव्वरयणा दयणसंचया थ अवरुत्तरे पासे ॥७॥ दोकोडिसहस्साई छच्चेव सयाई एक्कवीसाइं। चोयालसयसहस्सा विक्खंभो चक्कबालेणं ॥७१।। कुण्डलद्वीपः । कोंडलवरस्स मज्झे णगुत्तमो हाइ कुंडलो सेलो । पागारसरिसरूवो विभयंतो कोंडलं दीबं ।।७२।। बायालीस सहस्से उब्विद्धो कुंडलो हवइ सेलो । एगं चेव सहस्सं धरणियलमहे येमोगाढो ।।७३।। दस चेव जोयणसए बावीसं वित्थडो य मूलम्मि । सत्तेव जोयणसए तेवीसे वित्थडो मज्झे ॥७४।। चत्तारि जोयणसए चउवीसे वित्थडो उ सिहरतले । एयस्सुवरि कूडे अहक्कम्मं कित्तइस्सामि ॥७॥ पुव्वेण होंति कूडा चत्तारि उ दक्खिणे बिच सारि । अवरेणऽविचत्तारि उ उत्तरओ होति चत्तारि ॥७६।।
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घइरप वइरसारे कणगे कचगुत्तमे इय । रतप्पभे य रन्नवाऊ सप्पभे य महप्पभे ॥७७।। मणिप्पभे ये मणिहिये रूयगे एग वडिसए । फलिहे अ महाफलिहे हिमवं मंदिरे इय ।।७।। एएसि कडाणं उस्सेहो पंचजोयणसयाई । पंचेव जोयणसए मूलम्मि उ वित्थडा कूडा ॥७९।। तिन्नेव जोयणसए पन्नत्तरि जोयणाई मज्झम्मि । अड्डाइज्जे य दसए सिहरतले वित्थडाकडा ॥८॥ एगं चेव सहस्सं पंचेव सयाई एकसीयाई । मूलम्मि उ कूडाणं स विसेसो परिरओ होइ ।८१॥ एगं चेव सहस्सं छलसीयं चेव होइ सयमेगं । मज्झम्मि उ कडाणं विसेसहीणो परिक्खेवो ॥८२।। सत्तेव जोयणसए एगा नउई च जोयणं होंति । सिहरतले कूडाणं विसेसहीणो परिक्खेवो ॥८३॥ पलिओवमट्टिईया नागकुमारा वसंति एएसु । सेसिं नामावलियं अहक्कम कित्तइस्सामि ।।८।। तिसीसे पंचसीसे य सत्तसीसे महाभुजे । पउमुत्तर पउमरोणे महापउमें चेव वासुगौ ॥८५॥ चिरहियओ मउयहियओ सिरिवच्छो सोथिए इय । संदरनागे विसालक्खे पंडुरंगे पंडुकेसीय ।।८६।।
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कुंडलनगरस अभितरपासे होंति रायहाणीओ। सोलस्स उत्तरपासे सोलसंपुण दक्खिणे पासे ॥८७।। जा उत्तरेण सोलस ताओ ईसाणलोगपालाण । सक्कस्स लोगपालाणं दक्खिणे सोलस्स हवंति ।८८। मझे होइ चउण्हं वेसमणपभो नगुत्तमो सेलो । रइकरगपन्वयसमो उच्छेहुव्वेह विक्खंभो ॥८९।। तस्स य नगुत्तमस्स उ चउद्दिसि होति रायहाणीओ । जंबुद्दीव समाओ विवखंभायामओ ताओ ।।९।। पुवेण अयलभद्दा मसक्कसारा य होइ दाहिणओ । अवरेण उ कुबेरा धणप्पभा उत्तरे पासे ॥९१।। एएणेव कमेणं वरुणस्स य होंति अवरपासम्मि । वरुणप्पभोलस्सवि चउद्दिसिं रायहाणीओ ॥९२।। पुर्वण होइ वरुणा वरुणप्पभा दक्षिणे दिसाभाए । अवरेण 'होइ कुमुया उत्तरओ पुंडरगिणीया ॥९३॥ एएणेव' कमेणं सोमस्सवि होंति अवरपासम्मि । सोमप्पम खेलस्सवि चउद्दिसिं रायहाणीओ ॥९४।। पुगेण होइ सोमा सोमपभा दक्षिणे दिसाभाए । सिवपागारं अवरण होइ णलिणा य उत्तरओ ॥९५। एएणेव कमेणं अंतगस्सावि होइ अवरेणं । जगवत्तिप्पभसेलस्स चउद्दिसिं रायहाणीओ
(अन्तासेलप्रभस्येत्यर्थः) ।।९६।।
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पुव्वेण उ विसाला अईविसालाउ दाहिणे पासे । सेयपभा अवरेणं अमया पुण उत्तरे पासे ।।९७।। सक्कस्स देवरन्नो जाओ य हवंति अग्गमहिसीओ । तासिपिय पत्तेयं अटेवय रायहाणीओ ।।९८।। जं नामा देवीओ तं नामा होति रायहाणीओ । सक्कस्स देव रन्नो ताओ उ हवंति दक्खिणओ ।९९। ईसाणदेव रन्नो जाओ उ हवंति अग्गम हिसीओ । तासि पि य पत्तेयं अवय रायहाणीओ ।।१०।। जं नामा देवीओ तं नामा होति रायहाणीओ । इसाणदेवरन्नो तासि तु हवंति उत्तरओ ॥१०१।। कुंडलवरस्स बाहि छसु चेव हवंति सयसहस्सेस । तेत्तीसं रइकरगा उ पव्वया तत्थ रम्माओ ।१०२॥ सक्कस्स देवरन्नो तायत्तीसा हवति जा देवा । उप्पायपव्वया खलु पत्तेयं तेसि बोद्धव्वा ।।१०३।। एत्तो एक्केक्कस्स उ चउद्दिसि होंति रायहाणीओ । जंबुद्दीवसमाओ विक्खंभायामओ ताओ ॥१०४।। पढमा सयसहस्सा विइया तिसु चेव सयसहस्सेसु । पुवाइयाऽऽणुपव्वी तासि नामाई कित्तेऽहं ॥१०५।। विजया य वेजयंती जयंती अपराइया य बोद्धव्वा । तत्तो य नलिणनामा नलिणगुडमाय पउमाय ।१०६।
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________________ तत्तो य महाउपमा अडेव होंति रायहाणोओ / चक्कज्जया य सच्चा सव्वा वयरज्म जा चेव / 107 / सकस्स देवरणो तायत्तीसाण अग्गमहिसीणं / तासिं खलु पत्तेयं अट्ठेव य रायहाणीओ / 108 / / जन्नामा से देवी तन्नामा तासि रायहाणीओ / इसाणदेवरन्नो तायत्तीसाण उत्तरओ / / 109 / / बावन्ना बायाला छलसीई दसजोयणसहस्सा / गोतित्थेण विरहियं खेत्तं खलु कुंडलसमुद्दे // 110 / / अथ रुचकद्वीपः / / दसकोडि सहस्साई चतारि सयाई पंचसीयाइ / बावत्तरि च लक्खा विक्खंभो रत्नमदीवस्स // 111 / / रुयगवरस्स मज्झे गुत्तमो होइ पन्वओ रुयगो / पागारसरिसरूवो रूयगं दीवं विनयमाणो / / 112 / / रुयगस्स उ उस्सेहो चउरासीई भवे सहस्साई / एगं चेव सहस्सं धरणियलमहे समोगाढो // 113 // दस चेव सहस्सा खलु बावीसं जोयणाई बोद्धव्वा / सिहरतले विक्खंभो रुयगस्स उ पब्वयस्स भदे / / 114 / / सिहरतलम्मि उ रुयगस्स चउर कूडा चउद्दिसिं तत्थ / पुवाई आगुपुब्बी तेसिं नामाई कित्तेऽहं // 115 / /
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पुव्वेण अट्ठ कूडा दक्षिणओ अट्ठ २ अवरेणं । उत्तरओ अट्ठ भवे चउद्दिसि होंति रुयगस्स ।। ११६॥ कणगे१ कंचणगे२ तवण३ दिसासोवत्थिए४ अरिटे५ य । चंदण६ अंजणमूले७ वइरे८ पुय अट्ठमे भणिए ।।११७।। नाणारयणविचित्ता उज्जोयंता हुयासण सिहा व । ए ए अट्ठवि कूडा हवंति पुव्वेण रुयगस्स ॥११८॥ फलिहे १ रयणे२ भवणे३
पउमे ४ नलिणे५ ससी६ य नायव्वे । वेसमणे७ वेरुलिए८ रुयगस्स हवंति दक्खिणओ।११९। नाणारयण विचिता अणोवमा धतरूव संकासा । ए ए अट्ठवि कूडा रुयगस्स हवंति दक्खिणओ ॥१२०॥ अमोहो१ सुप्पबुद्धे य२ हिमवं३ मंदिरे इय ४ । स्यगे५ रुयगुत्तरे६ चंदे७ अट्ठमे य सुदंसणे८ ॥१२१।। नाणारयणविचित्ता अणोवमा धंतरूव संकासा । ए ए अट्ठवि कूडा रुयगस्स वि होंति पच्छिमओ।१२२। विजए१ य वेजयंते२ जयंत३ अपराइए४ य बोद्धव्वो। कुंडल५ रुयगे६ रयणुच्चए य ७ तह सव्वरयणे य १२३ नाणारयणविचित्ता उ उज्जोवेंता हुयासण सिहा य । ए ए अट्ठवि कूडा रुयवस्स हवंति उत्तरओ ।।१२४।। पलिओवमट्टिईया एएसु खलु हवंति कूडेसु । पुत्वेण आणुपुवी दिसाकुमारीण ते हंति ॥१२५।।
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नंदुत्तरा१ य नंदा२ आणंदा३ तह य नंदिसेणा४ य । विजया य५ वेजयंती६ जयंती७ अवगइया चेव ८ ।१२६। एया पुरस्थिमेगं स्यगंमि उ अट्ट होंति देवीओ । पुवेणं जे उ कूडा अट्ठवि रुयगे तहिं एया ।।१२७।। लच्छिमई१ सेसमई२ चित्तगुत्ता३ वसुधरा४ चेव । समाहार५ सुप्पदिन्ना य६ सुप्पबद्धा७ जसोधरा८ १२८ एयाओ दक्खिणेणं हवंति अट्ठवि दिसाकुमारीओ। जे दक्खिणेन कूडा अट्ठवि रुयगे तहिं एया ।१२९। इलादेवी १ सुरादेवी२ पुहई ३ पउमावई य४ विनेया। एगनासा५ णवमिया६ सीवा७ भद्दाय अट्ठमिया ।१३०॥ एयाओ पच्छिमदिसा समासिया अट्ठदिसकुमारीओ। अवरेण जे उ कूडा अट्ठवि रुयगे तहिं एया ।१३१॥ अलंबुसा१ मोसकेसी२ पुंडरगिणी३ वारुणी४ तहा। आसा५ सग्गप्पभा६ चेव
सिरि७ हिरी८ चेव उत्तरओ ॥१३२॥ एया दिसाकुमारी कहिया सव्वण्णु सव्वदरिसीहि । जे उत्तरेण कूडा अट्ठवि रुयगे तहिं एया ॥१३३।। जो उण साहस्सीया रुयगवरे पव्वयम्मि चत्तारि । पुवाइ आणुपुत्वी दीवाहिवईण आवासा ॥१३४ ।
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पुवेग उ वेरुलियं मणिकुंडं पच्छिमे दिसाभागे । रुयगं पुण दक्खिणओ रुयगुत्तरमुत्तरे पासे ॥१३५।। जोयण सहस्सियाणं ए ए कडा हवंति चत्तारि । पुव्वाइयाणपुवो ते होंति दिसाकुमारीणं ।।१३६।। पुत्रेण य वेरुलियं मणिकुंडं पच्छिमे दिसाभागे । रुयगं पुण दक्विणओ रुयगुत्तरमुत्तरे पासो ।।१३७।। रुया रुय सा सुरुवावइ रुवकान्ता रुवप्पभा। पुव्वाइ आणुप्पुव्वी चउदिसि तेसु कूडेसु ।।१३८।। पलिओवमं दिवढे ठिइ उ एयासि । एकेक्कम्म परियायं होइ अट्ठण्ह कूडाणं ॥१३९।। पूव्वेण सोत्थि कूडं अवरेण य नंदणं भवे कूडं । दक्खिणओ लोगहियं उत्तरओ सव्वभूयहियं ।१४०। जोयण सहस्सीया ए ए कूडा हवंति चत्तारि । पुवाइ आणुपुव्वी विज्जुकुमारीण ते होंति ।।१४१।। चित्ता य चित्तकणगा३ सतेरा३ सोयामणी४ य णायव्वा । एया विज्जुकुमारी साहिय पलिओवमट्ठितिया ।१४२। विज्जुयकुमारीणं दक्खिण कूडा दिसागइंदाणं । तत्तो मयहरियाणं
-विज्जुकुमारीणं मज्झओ होति ।१४३॥
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रुयवरस्स उ बाहिं ओगाहित्ताण अट्ठलक्खाई चुलसीई सहस्साई रयकरगा पव्त्रया रम्मा ।। १४४ ।। सव्वस्त देवरण्णो सामण्णा खलु हवंति जे देवा । उववाय पव्वया खलु पत्तेयं तेसि बोद्धव्वा ।। १४५ ।। एत्तो एक्केक्स्सउ चउद्दिसि होंति रायहाणीओ | जंबुद्दीवममाओ विक्खंभायामओ ताओ ॥ १४९॥ पढमाओ सयस हस्ते विश्यासु चंव समसहस्सेसु । पुव्वाइआणुपुञ्चो तेसि नामाणि कित्तेऽहं ॥। १५० ।। पुव्वाइ आणुपुन्वी तत्तो नंदा उ होइ नंदवई । अवरेण य नंदुत्तर उत्तरओ नंदिसेणाओ ।। १५१ ।। भद्दा य सुभद्दा य कुमुया पुण होइ पुंडरिगिणोउ चक्कज्झया य सव्त्रा सञ्चा वयरज्झना चेव ।। १५२ । एवं ईसाणस्स वि सामाण सुराण रइकग रम्मा । नंदाई णगरोहि अ परिवरिया उत्तरे पासे । १५३ ।। जंबुद्दीवाहिवई अणाढिउ सुट्ठिओ य लवणस्स । एत्तोय आणुपुव्वी दो दो दीवे समुद्दे य । १५४। प्रियदंसणे पभासे काले देवे तहा महाकाले । पउमे य महापउमे सिरेधरे महिधरे चेव ।।१५५ ।। मणिपभे य उप्पभे चैव अग्गिदेवे तहेव अग्गिजसे । कणगे कणगप्पभे चेव तत्तो कंते य अइकंते । १५६ । सर्वेष्वादशेष्वं कायस्त्रटिर्द्दश्यते संबन्धस्त्खंडेव ॥
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दामड्डी हरिवारण तत्तो सुमणे य । अविसोम वीयसोगे सुभद्दमद्दे सुमणभद्दे ॥१५७।। शङ्खवरद्वीपः ।। ___संखवरे दीवम्मि अ संखे संखप्पभे य दो देवा । कणगे कणगप्पभे चेव संखवर समुद्द अभिवाओ।१५८॥ मणिप्पभे मणिहंसे य कामपाले य कुमुदकेऊ य । कुंडल कुडलभद्दे समुद्दभद्दे सुमणभद्दे ।। १५९।। सव्वुत्तमणोरह सव्वकाम सिद्धे य रुयण जगदेवा । तह माणु सुत्तरनगे चक्खुसहे चक्खुकंते य ॥१६०।। तेण परं दीवाणं उदहीणं च सरिसनाममादेवा । एकेक सरिसनामा असंखेजा होंति गायब्वा ।।१६।। वासाणं व दहाणं वासहराणं महाणईणं च । दीवाणं उदहीणं पलिओवमगा उ अहिवइणो ।१६२॥ दीवाहिवईण भवे उव्वाओ दीवमज्झयारम्मि । उदहिस्स य आकीला दीवेसुं सागरवईणं ॥१६३।। रुयगाओ य समुद्दा (परओ) दीवा य भवे असंखेजा। गंतण होइ अरुणो दीवो अरुणो तओ उदहीं।१६४। वायालीस सहस्सा अरुणं ओगाहिऊण दक्खिणओ। वरवइर विग्गहीओ सिलनिचओ तत्थ तेगिच्छी ।१६५।
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सत्तरसएकवीसाइं जोयणसयाई सो समुव्विद्धो । दस चैव य बावीसे मूले विच्छिण्णु
होइ नायव्वो ( गीतिः ) ।। १६६ ।। जोयण चउरस एकपो चउवीसे वित्थडो उ मज्झम्मि । सत्तेव य तेवीसे सिहरतले वित्थडो होइ ।। १६७ ।। सत्तरोक्कवीसाइ पएसाण सयाहं गंतूणं । एक्कारसछमउया वडुंते दोसु पासेसु ॥१६८॥ बत्तीस सया बत्तीस उत्तरा परिरओ विसेसणो । तेरस इयालाई बावीसं छविहिया परिही ।। १६९ ।। रयणमओ पउमाए वणसंडेणं च सो परिक्खित्तो । मज्झे सो उववेढो अड्डाइजाइ उव्विद्धो ।।१७० ।। विच्छिण्णो पुण वीसं तत्थ य सीहासणं सपरिवारं । नाणामणिरयणमयं उज्जयंतं दस दिसाओ ।। १७१ । । तेगिच्छि दाहिणओ उ णट्टकोडीसयाइ कोडिपण्णपचं । संलक्खाइ पंच य पंच य कोसे अइवइत्ता ।। १७२ ।। ओगाहित्ताण अहो चत्तालीसं भवे सहस्साइं । अभितर चउरंसा वाहिं वट्ट चमरचंचा ॥ १७३॥ एगं च सयसहस्सं विच्छिण्णो होइ आणुपुव्वीए । ते तिगुणं सविसेस परीरएणं तु बोद्धव्वा || १७४।। पायारो नायव्वो रायहाणीए चमरचंचाए । जोयणसयं दिवड उव्विद्धो होइ सव्वत्तो ॥ १७५ ॥
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पन्नासं पुण वीसं अड्डतेरसओ जोयणाइं तु । मूले मज्झे उवरि विक्खंभो सुवन्न सालस्स ।१७६। कविसीमया य नियमा आयामेणऽद्र जोयणं सव्वे । कोसं विक्खंभेणं देसूणं अद्ध जोयणं उच्चा ॥१७७।। एक्केक्की वाहाए दाराणं पंच पंच य सयाई । तेसिं तू उच्चत्तं अट्ठाइज्जं सया होंति ॥१७८।। वाराणं विक्खंभो पणवीससयं तहा पवेसोय । नगरीए चउद्दिसि पंचेव उ जोयणसयाइं ॥१७९।। गंतूणं वणसंडा चउरो आयामओ य भणिया । साहीय सह संजोयणाण विक्खंभओ पंच ॥१८०।। दारपमाणा चउरो वडिसका तत्थ पल्लय ठितीया । देवाअ असाअ तह सत्तिवन्ना चंदे य भूए य ।१८१। चंचाए बहुमज्झे विक्खंभायम्मि सोलस सहस्सा । अह उवकारिय लेणे वाहलेणं अड्डजोयणीए ।।१८२।। पउमवरवेइयाए वणसंडेणं च स परिक्खित्ते । तस्स य बहुमज्झदेसे वडेंसगो सामग्णो य ।१८३। दारप्पमाणसरिसो उ सोउ तत्थेव हवइ पासाओ। सो होइ परिक्खित्तो चउद्धि उ पासायपंतीहिं ।१८४। सयमेगं पणवीसं बावट्टि जोयणाइं अद्धं च । एकत्तीस सकोसे य ऊसिया वीत्थडा अदुं ।।१८५।।
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पासायस्स उ पुव्वुत्तरेण एत्थ उ सभा सुहम्माओ । तत्तो य वैइअघरं उववायस्समा य इरओ य ।१८६। अभिसेक्का अलंकारिय ववसाया ऊसिया उ छत्तीशं । पन्नासइया यामा आयामऽद्धं तु विच्छिण्णा ॥१८७।। तिदिसिं होंति मुहम्माए तिनि दाराओ अड्ड उव्विद्धा। विक्खंभो य पवेसो ज जोयणा तेसिं चत्तारि।१८८॥ तेसिं पुरओ मुहमंडवाओ पेच्छाघरा य तेस भवे । पेच्छाघराणमज्झे अक्खाडा आसणा रम्मा ।१८९। पाङ्घजो दो०२ पेच्छाघराण
पुरओ थूभा तेसिं चउद्दिसि होति ।। पत्तेय पेढिवाओ जिणपडिमा एत्थ पत्तेयं ।१९०। थूभाण होंति पुरओ पेढिया तत्थ चैइयदुमाओ । चेइयदुमाण पुरओ उ पेढियाओ मणिमईओ ॥१९१।। तासुप्परि महिंदज्झया य तेसु पुरओ भवे नंदा । दसजोयण उछोढा इरवोऽपि दसेव विच्छिण्णो । १९२॥ एसेव जिणवरस वि हवइ गमो । सियाणविसमाणं जं पि य से
नाणतं तंपि य वोच्छं समासेणं ।।१९३।। बहुमजदेसपेढिय तत्थेव य माणवो भने खंभो । चउवीस कोडिमंसिये बारसमद्धं च हेवरि ।।१९४।।
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फलिया तहियं नामदंतया य सिक्के तहिं वइरमया । तत्थ उ होति समुग्गा जिणसकहा तत्थ पन्नत्ता । १९५ । माणवनगस्स पुवेणं आसणं पच्छिमेण सर्याणिज्जं । उत्तरओ सयणिजस्स हाइ इंदज्झओ तुंगो । । १९६ ।। पहरणकोसे इंदजयस्स अवरेण इत्थ चोकालो । फलिहप्पा मोक्खाणं निक्खेव निद्दीपहरणाणं । १९७ । जिणदेवच्छंद यो जिणघरम्मि पडिमाण तत्थ अड्डायं । चमराणं घारा खलु पुरओ घंटाण अट्ठायं ।। १९८ ।। सेस समाण उ मज्झे हवंति
मणिवेढिया परमवेढिया परमरम्मा | तत्थासणा महरिहा उववाय सभाए सय णिज्जं । १९९ । मुहपंडवये वाहर हरओ दागय सह पमाणाई | थूभा उ अट्ठ च भवेदारस्स उ मंडवाणं तु । २०० । उव्विद्धा दीनं उग्गया य विच्छिण्णजोयणद्धं तु । माणवगमहिंदज्झाया हवंति इंदज्झया चेव || २०१ ॥ जिण दुसु सुहम्म चेइयघरेसु जा पेढियाय तत्थभवे । चउजोयण बाहल्ला अद्वेव उ वित्थडायामा ॥ २०२ ॥ सेसाचउ आयामा बाहल्लं दोणि जोयणे तेहि । सव्त्रे य वेइयदुमा अट्ठेव य जोयणुविद्धा ॥२०३॥ छज्जोयणाई विडिमा उव्विद्धा अट्ठ होइ विज्जिणा । संधीओ जोयणिओ विक्खंभोवेइओ कोसं ||२०४ ||
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नयरीए उत्तरेणं नवेव खलु जोयणाण लक्खाओ । अरुणोदगे समुद्दे गंतूणं पंच आवासा ॥२०५।। पढमे सयंपभे चेव तत्तो खलु हाइ पुप्फकेऊय । पुप्फावत्ते पुप्फप्फले य पुप्फुत्तरे पासे ॥२०६।। अग्गमहिसीपरिसाणं चेव तहा नगरीओ होति अग्गमहिसीणं । सामाणिया सुराणं तावतोसाण तिण्हं ॥२०७।। सिवमंदिराउ चोद्दस सहस्सिया सा भवे वरुणस्त । सेोलस साहसीया वइरमंदिरा सा नलस्स भवे ।२०८। अवरेण अनियाणं चउद्दिसि हाइ आयरक्खाणं । बारससहस्सियाओ बाहिं अट्ठारयण चित्ता ॥२०९।। परिसाणं सोमणसाउ सुसीमा सेमिजमाणं
तु रायहाणीओ । बारस सहस्सियाओ बाहिं वट्टारयण चित्ता ।।२१०॥ अरुणस्स उत्तरेणं बायालीसं भवे सहस्साइं । ओवाहिऊण उदहि किल नियओ रायहाणीओ।।२१।। वेरोयण पभकते सयव्वऊ वुचए सहस्सेया । तह मणो रमे पंचमे भणिए ॥२१२।। परिमाणं चेव तहा नयरीओ हेांति अग्गमहिसीणं । सामाणियासुराणं तावत्तीसाण तिण्हं च ॥२१३।।
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परिमाणं सामलमाउ सुसीया सामजमाणं तु
रायहाणीओ । चोइस सहस्सिया सो बाहिं वट्टारयणचित्ता ॥ २१४॥ अवरेण अ नियाणं चउदिसं हांति आयरक्खाणं । बारस पउस्सियाओ बाहिं वट्टा रयणचित्ता ।। २१५ ।। सिवमंदिराउ सालस सहस्सिया सा भवेउ अरुणस्स । अट्टमसाहस्सी वइरमंदिरा सा णलस्स भवे ।।२१६।। धरणस्स नागरणो सुहवइ परियाए दक्खिणे पासे । गंधव परियाओ भूयाणंदस्स उत्तरउ ॥ २१७।। उवत्तेन सहस्सं सहस्समेगं च मूलविच्छिण्णा । अट्टमा उ मज्झे उवरि पुण होंति पंचसए ।। २१८ ।। दो चेव जंबूदीवे चत्तारि य माणुसुत्तरनग्गम्मि । छच्चारुणे समुद्दे अट्ठ य रुवगम्मि दीवम्मि ।। २१९ । असुराणं नागाणं उदहिकुमाराण होंति आवासा । अरुणोदए समुद्दे तत्थेव य तेसि उप्पाया ।।२२० ।। दीवदिसाअग्गीणं थणियकुमाराण होंति आवासा | अरुणवरे दीवम्मि उ तत्थेव य तेसि उपाओ । २२१। चोयालसयं पदमिल्लुयाए पंतीए चंदसूराणं । तेण परं पंतीओ चउरोत्तरियाए वुडीए ॥ २२२ ॥ | जो जाई समसहस्साइं वित्थडो सागरो न दीवो वा । तावइयाओ तहियं पंतीओ चंदसूराणं ॥ २२३॥
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|| दीवसागरपण्णति संघयरणीगाहाओ संमताओ ॥
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