Book Title: Dwayashray Mahakavya Part 02 Author(s): Hemchandracharya, Abhaytilak Gani Publisher: Wav Jain S M P Sangh View full book textPage 7
________________ - ( श्री विजय भद्र सूरीश्वरेभ्यो नमः) पूज्यपाद सिध्दि - विनय भद्रविशाल - ॐकारसूरीश्वरेभ्यो नमः प्रास्ताविकम् संस्कृत वाङ्मय के अनूठे इस रत्न द्वयाश्रयमहाकाव्यम्-को विद्वानों के करकमल में समर्पित करते आनन्द होता है कलिकालसर्वज्ञ आचार्य देव श्रीमद् द्विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी महाराजा की इस कृति में चालुक्यवंश के प्रमुख शासक मूलराज से परमार्हत् कुमारपाल महाराजा तक के गुर्जरराष्ट्र के प्रशासकों का इतिहास सुचारु रूप से गुंफित किया गया है ; :- काव्यात्मकढंग से सिद्ध हे मव्याकरण के उदाहरणों को चर्चित करते हुए । इसीलिए तो इसे 'द्वयाश्रय महाकाव्यम्' नाम से सम्बोधित कर दिया कृतिकार महर्षिने । प्रस्तुत ग्रन्थ सन १९१५ एवं सन १९२१ में दो खण्डों में t VI बोम्बे संस्कृत एण्ड ६९ व १६ में प्रका प्राकृत सीरीज़' में क्रमा शित हुआ था I कई वर्षों से दुर्लभ इस महाकाव्य को पुनः संशोधित / सम्पादित करके प्रकाशित करPage Navigation
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