Book Title: Dvadasharam Naychakram Part 1 Tika
Author(s): Mallavadi Kshamashraman, Sighsuri, Jambuvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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नयचक्रे वृत्तौ वा चतुरेधूल्लिखितानां वाद यादि ग्रन्थ- प्रन्थकृन्नाम्नां सूचिः
व्यवहारनय वृ. १५,३३
व्याकरण मू. १८१, नृ. १२०, १८१, ३६२ व्यास वृ. ८ शाक्यपुत्रीय वृ. ९३
भारत वृ. ११९
भाष्य वृ. ६२,२८७,२९७,३००
मनु बृ. ३४६ मलवादिसूरि बृ.१,७२ मस्करि वृ. ८ मायासूनवीयाः वृ. ७४ मायेयीय मू. वृ. ७४ माहेश्वरी योगविधिः वृ. ३४१
मीमांसा वृ. १२०
योनिप्राभृत मू. वृ. २०२
रामायण वृ. ११९
लौकिक मू. ८, वृ. ८,१५,३३,३९,६४, १८९
सुबंधुवृ.९६,९९
विज्ञानमात्रतावाद वृ. १८९,२६०
विज्ञानवाद वृ. १०५
विष्णु वृ. ३४६ वृक्षायुर्वेद कृ. २०२,३६०
वेद सू. ११९, १२३, १२४, १४०, तु. ११९-१२०, १३४, १४०
वेदवाद सू. तू. 111
वैदिक वृ. १३४
वैशेषिक मू. ८७, २९१, १.३४,३५,६४, ७३,८७,१७४, २९१,२९२,३२७,३२९
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शास्त्र मू. ४७, ५३, ५९, १०८, ११०, १२१, २०८,३३८ सू. २,४०, ५०, ५३, ५४, ५६, ५७, ५९, १०८, ११७, ११८, १३५, २०८, २०९, २१०
शास्त्रकाराः वृ. १५
शासन मू. ६, ७, ९, ब्रु. १,४,६,७,९ शिष्य वृ. ९६
शून्यवाद . २४०, वृ. १०५,२४७,२६० शौद्धोदन बृ. ८
श्रुति वृ. १३०, १५५, १५६
समुद ( दायवाद मू. २४७, पृ. २४७,२६०
सामान्यवाद वृ. ३३
सार्वश्य- सर्वज्ञता मू. पृ.१७९, १८०, १८२, २०४
सांख्य म्. १२० पु. ११,१८,३२,३४,३५,४०,६४, १००, ११५, ११९, १२०, १२१, १२२, १३६, १४५ १७४,२८७, २९३
सिद्धसेन वृ. ३५,३२४
सूरि बृ. १०,५९,९३ सोनाग वृ. ३०
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