Book Title: Dravya Saptatika Granth
Author(s): Lavanyavijay Gani, Nirupamsagar
Publisher: Jain Shwetambar Sangh Pedhi

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Page 425
________________ [ १७५ १२-१९-२० २९-३० २३-२४ २३-२४ ८ २३-२० श्रीमानसूरि श्रीमालीय श्री लावण्ययिजय वाचक श्री वज्रस्वामि श्री वर्धमान श्री विष्णुकुमार श्री वीर श्री शशुंजय श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ श्री शांतिसूरि श्री संप्रतिजिन श्री सर्वानुभूति श्री सिद्धसेनसूरि श्री सिद्धाचल श्री सुनक्षत्र श्रो सुप्रतिष्ठ श्री सुमति-साधुसूरि ७. श्री हेमचन्द्रचार्य श्रुतव्यवहार समुद्रसूरि १९-२० सवार्थसिद्धि ३८-३९-४० सागर श्रेष्ठी १९-२० सिद्धपुर सिन्धु नदी सुशीला १२ सूर्यपुर ६७ सूर्यवती १९-२० सौराष्ट्र १९-२० समुद्र-सेन ६७ संकाश १९-२० संगय (संगत) २६ संप्रदाग-स्थल १२ स्तनिक 100 ८ " २९-३० ६. थी ६७ २३-२४ ६. अवचूरिका अनुवाद-गत ३८, ३९, ४० अमदावाद अयोध्या आनन्दप्रेस गौतम यंधीला जीर्ण श्रेष्ठ नीति भाक्नगर ६० ३८-३९-४० - थर्धमान ६० बादिवेताल - शान्तिरि ३८-३९-४० विद्याविजय ४३ शकेन्द्र शुनिक द्विज . - - -२ सत्य ३८, ४०-४०. सागर श्रेष्ठि सिद्धाचल सम्प्रतिजिन ३८-३९-४० संकाश श्रावक २९ हर्षमूरि ३८, ३९, मगध रत्नशेखरसरि रामचन्द्र . ३८, ३९, १०

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