Book Title: Diksha Dharm
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 3
________________ १ : आत्मा और धर्म सुखकी भावना सारे जगतके कर्मोंको देखनेसे मालूम होता है कि सभी जीव सुख चाहते हैं । एक भी जीव ऐसा नहीं है जो कि सुख चाहता न हो । अतएव सब अपनी शक्ति और साधनानुसार सुख प्राप्तिका प्रयत्न करते हैं । आत्माका भव-भ्रमण अनादि कालसे आत्मा भव-भ्रमण कर रहा है और इस संसार चक्रमें सुख-दुःखके अनेक अनुभव कर चुका I उन सबका सार निकालें तो प्रतीत होता हूँ कि आत्माने अब तक एक ही कार्य किया है --- ( १ ) शरीरकी प्राप्ति करना, (२) उसका पोषण करना, (३) उसकी देखभाल रखना और ( ४ ) समय आनेपर उसको छोड़के चले जाना । उन्नत दशाकी प्राप्ति आत्माके सारे भवभ्रमणका यह निचोड़ है । भ्रमणमें वह सुखकी इच्छा और दुःखसे द्वेष करता रहा है । लेकिन आकस्मिक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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