Book Title: Digambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 05 Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 1
________________ FJAN LIBRA DICHE STATE ORDAROORomश्रीवीतरागाय नमःAROO KOID सम्पादक-मूलचंद किसनदास कापड़िया चंदावाड़ी-सरत।CO विषयानुक्रमणिका। पृष्ठ ONLO 48700 P नं० विषय १. सम्पादकीय विचार.... .. २. जैन समाचार संग्रह.... ३. व्याख्यान, बेरिस्टर चम्पतरानजी, स्वागत सभापति, सं० प्रा० दि० जैन सभा इलाहाबाद ४. सहबासके नियम (वैद्य ' से .... ५. सच्चा सुखं (प्रेमचन्द पंचरत्न, भिंड ) .... ६. नीति-रत्नमाला (२) ७. मिट्टीके उपचार (जयानीमतापसे ) ८. ज्ञाति-तंत्र (गुजरातका एक ज्ञाति सेवक ) ९. महात्माओनी अमृतवाणी (चुनीलाल वीरचंद गांधी) ३२ वीर सं. २४५० फाल्गुन वि. सं. १९८० वर्ष १७ व ईस्वीसन् १९२४.. पेशगी वार्षिक मूल्य रु. २-०-० पोष्टेज सहित । Maजनालाजा HILDISADILITILGIL L EDISPLEADHOLADISHULICHIPage Navigation
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