Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 5
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 10
________________ प्रा० प्र० प्राय० प्र० या प्रायश्चित्तप्र ० = प्रायश्चित्तप्रकरण प्राय० प्रका० या प्रा० प्रकाश = प्रायश्चित्तप्रकाश प्राय० वि०, प्रा० वि० या प्रायश्चित्तवि० प्रायश्चित्तविवेक प्रा० म० या प्राय० म० प्रायश्चित्तमयूख प्रा० सा० या प्राय० सा०= प्रायश्चितसार बु० भू० = बुधभूषण बृ० या बृहस्पति० = बृहस्पतिस्मृति वृ० उ० या बृह० उप० = बृहदारण्यकोपनिषद् बृ० सं० या बृहत्सं० = बृहत्संहिता बौ० गृ० सू० या बौधायनगृ० = बौधायनगृह्यसूत्र बौ० ध० सू० या बौधा० ध० या बौधायनधर्म० = बौधाधर्मसूत्र बौ० श्र० सू० या बौधा० श्र० सू० == बौधायन श्रौतसूत्र ०, ब्रह्म० या ब्रह्मपु०= • ब्रह्मपुराण ब्रह्माण्ड०=ब्रह्माण्डपुराण भवि० पु० या भविष्य ० = भविष्यपुराण मत्स्य०= मत्स्यपुराण म० पा० या मद० पा० मदनपारिजात मनु या मनु० = मनुस्मृति मानव० या मानवगृह्य० = मानवगृह्यसूत्र मिता० = मिताक्षरा ( विज्ञानेश्वरकृत याज्ञवल्क्यस्मृति की टीका ) मी० कौ० या मीमांसाकी ० = मीमांसाकौस्तुभ ( खण्डदेव) मेवा० या मेधातिथि = मनुस्मृति पर मेधातिथि की टीका या मनुस्मृति के टीकाकार मेधातिथि मैत्री - उप० = मैथ्युपनिषद् मै० सं० या मैत्रायणी०= मैत्रायणी संहिता य० ध० सं० या यतिवर्म० यतिधर्म संग्रह पा०, याज्ञ या याज्ञ० याज्ञवल्क्यस्मृति राज० कल्हण की राजतरंगिणी रा० ६० कौ० या राज० कौ० = राजधर्म कौस्तुभ रा० नी० प्र० या राजनी० प्र०= मित्र मिश्र का राज नीति - प्रकाश Jain Education International राज० २० या राजनीतिर = चण्डेश्वर का राजनीति• रत्नाकर वाज० सं० या वाजसनेयी सं० वाजसनेयी संहिता वायु० = वि० चि० या विवादचि०= वाचस्पति मिश्र की विवाद = वायुपुराण चिन्तामणि वि० र० या विवादर० = विवादरत्नाकर विश्व० या विश्वरूप = याज्ञवल्क्यस्मृति की विश्वरूप कृत टीका विष्णु ० = विष्णुपुराण विष्णु या वि० ० सू० = विष्णु धर्मसूत्र वी० मि० = वीरमित्रोदय वै० स्मा० या वैखानस 'वैखानसस्मार्तसूत्र व्यव० त० या व्यवहार०: • रघुनन्दन का व्यवहारतत्त्व व्य० नि० या व्यवहारनि० == व्यवहारनिर्णय व्य० प्र० या व्यवहार प्र० = मित्र मिश्र का व्यवहारप्रकाश व्य० म० या व्यवहारम० = नीलकण्ठ का व्यवहारमयूख व्य० मा० या व्यवहारमा० जीमूतवाहन की व्यवहार मातृका व्यव० सा० = व्यवहारसार = श० ब्रा० या शतपथ ब्रा० शतपथब्राह्मण शातातप-- शातातपस्मृति शां० गृ० या शांखायनगृ० = शांखायनगृह्यसूत्र शां० ब्रा० या शांखायनब्रा० शांखायनब्राह्मण शां० श्र० सू० या शांखायनश्रौत ० = शांखायनश्रौतसूत्र शान्ति० = शान्तिपर्व शुक्र० या शुक्रनीति० शुक्रनीतिसार शु० कौ० या शुद्धिकौ० = शुद्धिकौमुदी शु० क० या शुद्धिकल्प० = शुद्धिकल्पतरु (शुद्धि पर) शु० प्र० या शुद्धिप्र० = शुद्धिप्रकाश शूद्रकम ० = शूद्रकमलाकर श्रा० क० ल० या श्राद्धकल्प ० = श्राद्धकल्पलता श्रा० क्रि० कौ० या श्राद्धक्रिया०= -श्राद्धक्रियाकौमुदी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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