Book Title: Dharmpariksha Ras
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown
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पाडलीपुर जोवा तणी, मुजने होंश विशेष ॥४॥ देखामो नहीं जो तुमे, रुसणो करशं। |एम ॥ श्रमे जा\ घर आपणे, मुख नवी जोशुं तम ॥५॥ मनोवेग बोल्यो तिहां, मित्रजी म करो रोष ॥ जाशुं आपण बे जणा, जो जे तुमने शोष ॥६॥ पामलीपुर तुम दाखवू, हश्डे राखो हाम ॥ कशी न करशो शोचना, करशुं सही ए काम ॥ पवनवेग ते सांजली, थयो मन्न रखियात ॥बे जण बेसी एकग, करवा मामी वात, ॥ ॥ निज घर जश् परवारीने, चालो जइए तांहिं ॥ शोने ने शणगारथी, अजुत| तरु उपगंहिं ॥ए॥ परठण करीने उठीश्रा,थाववा निज श्रावास ॥ मनोवेग लटपट करी, मित्र तेडी तास ॥१०॥
ढाल चोथी.
ते तरियारे नाइ ते तरिया-ए देशी. ___ उष्ण पाणीए स्नान करावी, देवपूजा कीधी रंगेरे ॥ चुथा चंदननी अर्चा कीधी, अनोपम वस्त्र पहेयां अंगेरे ॥ प्रीतिनी रीत जुलं तुमे ना ॥१॥ ए श्रांकणी ॥ नोजन करवा बे जण बेग, नेला साजन मांदेरे ॥ पीरसवा मांडी सुखडी सारी,
१ठराव.

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