Book Title: Dharmopadeshmala Vivaran
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 291
________________ २३६ विशिष्टनाम जणय-तणया जंतमय कवाड (कवोय ) -गरुड जम जमदग्गि जमालि 5 जंबुद्दीव जंबू जयंती जयसंधि जरासंध जलकंत्र मणि अलणप्पह जसभद्द जसभद्दा धर्मोपदेशमाला-विवरण निर्दिष्टानां विशिष्टनानां सूची । पृष्ठे | विशिष्टनाम पृष्ठे | विशिष्टनाम ३) जिणि (णें ) द ( जिनेन्द्र ) 5 दंतपुर १४२, १९३ | दंतच (च) क १४ | दंत - वलहिया २६, २८ दमग मुणि ४ दमदंत 5-धरा -पडिमा जयसिंहायरिय ( सूरि) २२९,२३० जयसेन = अजियसेण १९० १९० * आगम मार्ग १२८, १२९, १५१,२२७ १३४ १३४, १३५ - मुणि १३० | जियसत्तु ३,२२,३०-३२,४६, दस कप्प-यवहार ६७ ११० २,२१,२३,३२, ५५,६१,७४,८४,११,१३४, * दसका लिअ ( वेबालि ) १५४ ४६,५५ १३७,१५४,१९०, १९८, २१४ क दुसण्णपुर १३३,१८९ | दसणभद्द ( दशार्णभद्र ) ११० ८०,२२० | 5 दसपुर १०७, १०८ ७,१०-१५, २१९ दसारचक (कुल) १६० १०७ दहिवाहण ३ दाणसाला १९, १९५ ८९,११६,११८ * पवयण -पूया भक्त फ-भवण 5 - मंदिर * मय ( मत ) * वयण जिण कपिल जिद (य Jain Education International जियारि २२७ जु (जो ) हिट्ठिल ६६ जोइजसा जोगंधरायण ७९,२२६ ९२ १४६ ६६,१५४, २२७ जायव जाला जिण (जिन ) १८, ५७, १४१, १७४, १७५, १९२ तिरथयर १, १३, १४, १७, तारादेवी जिणदेव (जिनदेव ) जिणभद्द ७, १८, ५४, १९३ तत्तायरिअ 5 जिणायत (य) ण * जयसद्द - कुसुममाला १९२, पडिमा १९३ - बिंब - धम्म ३७,५६,९८, १५२, १८९ ढढर णउल णं दिसेण ( नन्दिषेण ) ण ( न ) मोक्कार णिण्हव ६२ मि (नेमि १६३,१६४ तमाला ( अडवी ) मंदिर ७९,१७९,१८९ विठ्ठ (ट्ठ) २२९| थूलभद्द ३३,३९,५५, * थेरावलिया ५६,७१,७२ 5 दक्खिणावह १७८ 5 लुंगिणि देस १४८, २२८ तुरुमिणी ५७, २२९ तेयलिपुर १७६ |तेय लिसुभ १८९,२२८ धूभ २२८ | तिनयण ७१,१७५ तिमिसा ( गुहा ) १४२ |तिविक्रम ९८ १०८ | ६-१२,१७,५४ ७२, १००, १६५ ] दुहुर देव ११३ - 5 दाहिण महुरा ११५,१२७,१२८ | 5 दिगं (यं) बर-वसही 5 दिव्वमहाभ २२८ | दीणार ३ दु (दो) जोहण १३५ | दुष्पसह ३७,१७८, १८३ | दुब्बलिय पूसमित्त ११७,२१४ ११७,२१४ ७६,७९,८० ,, सड्ढ (श्राद्ध) दिट्टिवान ३० | 5 देवउल २२४ देवदत्त २१५ १४५ १७७ ४१,५९ १६१ १७७ १०७ ३२ ४०, १२९, १८४ ८० २२८ १०८ ३२ * दुमुणिचरिr ( द्विमुनिचरित) १७७ For Private & Personal Use Only १०८, १२८, १३२,१५१, १७८ ७१ दुमु (मु) ह ११९-१२२ ४७ 5 दुरुल्लकुतिया गाम १६५ | दूलगणि सूरि ८५ देव (१) १२६ | देव ( २ ) वायग २२७ देवई "" २१४ २२८ २२७ २२८ ७, १८, १२७ ८५, ११२ ६९ २२४,२२६ | देवदत्ता ( गणिया ) १०० - १०५ ८५,८८ | देवसम्म ६९ २२७ धण ( १ ) 60 २२८ (२ धन ) सरथवाह २.५, १६१, १९१ ३४-३९, १५४, १५६ २२७ ८९ २१४ २२७ २२२ | दढप्पहारी (दृढप्रहारी ) २१-२३ | धणदेव १७९ दढमित ५९, दत्त २१५ | धणपाल ३०, ३१ धणमित्त ( १ धनमित्र ) १३२ | ” (२) www.jainelibrary.org

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