________________
११०
उत्सव में सिंगापुर से आये हुए चीनी बौद्ध भी तत्पश्चात् वर्मा के ऊ चान् टुन्, चीन के भिक्षु सम्मिलित हुए थे। पीनांग बौद्ध समिति के प्रधान श्री फाफों, भारत के श्री अरविन्द बरुआ और आनन्द व्योम स्योगं ने भी बुद्ध धर्म के सिद्धांतों पर चीनी भाषा कौसल्यायन, इटली के भिक्षु लोकनाथ और जापान में प्रकाश डाला।
के श्रीरीरी नाकायामा के भाषण हुए । लंका के " बौद्ध धर्म में दीक्षा-गत २९ जून को धर्मराजिक वाणिज्य मंत्री श्री एच० डब्ल्यू. अमरसूरिय ने विहार कलकत्ता में बहुसंख्यक भिक्षु लोगों के समक्ष सम्पूर्ण उपस्थित लोगों को धन्यवाद दिया। हबढ़ा के श्री कुमुदविहारी राय तथा नदिया के श्री देवेन्द्र सन्ध्या समय चाय पीने के पश्चात् सब लोगों नाथ विश्वास ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया। भारतीय महा- नेकोलम्बो के लिए प्रस्थान कर दिया। बोधि सभा के उपमन्त्री भदन्न एम. संघरत्नजी ने उन्हें
___इसी दिन २६ मई को कोलम्बो के रेस्-मैदान
सी नित पंचशील देकर बौद्ध धर्म में दीक्षित किया।
में लंका के प्रधान मंत्री श्री डी० एस० सेनानायक अखिल विश्व बौद्ध सम्मेलन-लका मेगत की अध्यक्षता में सम्मेलन का कार्य प्रारम्भ हुआ। ६.६ मई से ६ जून तक संसार के सभी बौद्ध राष्ट्रों उक्त अवसर पर काषाय वस्त्रों से सुशोभित हजारों के प्रतिनिधियों का एक महासम्मेलन हुआ, भिक्षु उपस्थित थे। पहले भिक्षु लोगों ने परित्राण जिसकी तैयारी कई वर्षों से हो रही थी, जो अपने पाठ किया। तदुपरान्त विद्यालंकार परिवेण के ढंग का विचित्र और अभूतपूर्व सम्मेलन था। इस प्रधान भिक्षु ने उपदेश दिया । लंका के स्वास्थ्य सम्मेलन में चीन, जापान, स्याम, बर्मा, काम्बोज, मंत्री श्री बण्डार नायक ने स्वागत-भाषण कि वोयतनाम, फ्रांस, इंगलैण्ड, नार्वे, स्वीडन, फीन- और महाबोधि सभा के अध्यक्ष परवाहर श्री लैण्ड, जर्मनी, जेकोस्लोवाकिया, भारत, पाकिस्तान, वाजिरञान महास्थविर ने समस्त लंका के भिक्ष नेपाल, तिब्बत, भूटान, सिक्किम, हवाई द्वीप, संघ की ओर से आगत प्रतिनिधियों को धन्यवाद मलाया, अमेरिका आदि उन्तीस राष्ट्रों के प्रतिनिधि दिया। तत्पश्चात् विभिन्न देशों से आये सन्देश भाग लिए थे। सबके रहने एवं भोजन आदि का पढ़कर सुनाये गये । उक्त अवसर पर लंका पधारे प्रबन्ध भी बड़े ही सुन्दर ढंग से हुआ था। लंका भारत के विधिमंत्री डा. भीमराव अम्बेडकर ने के बौद्ध गृहस्थों ने सारा प्रबन्ध किया था । एक कहा-"इस समय भारत में प्रजातन्त्रवादी धर्म एक मण्डल एक-एक स्थान पर रहता था और की अत्यन्त आवश्यकता है और बौद्ध धर्म बिल्कुल उसकी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति प्रबन्धक ही प्रजातन्त्रवादी धर्म है, अतएव यह भारत के करते थे।
लिए अत्यन्त ही उपयुक्त धर्म है।" " सर्वप्रथम २५ मई को महनुवर ( कैण्डी) में इस सम्मेलन में अनेक प्रस्ताव सर्व सम्मति से जुलूस के साथ उत्सव मनाया गया एवं दन्तधातु स्वीकृत हुए और छः उपसमितियों का निर्माण हुआ की पूजा की गई। सभी आगन्तुकों को कार्यकारिणी जो ग्रंथ प्रकाशन, प्रचार, विपत्ति-निवारण, धर्मसमिति की ओर से दोपहर में भोजन कराया गया। प्रचार, धर्मदूत-प्रेषण आदि कार्य करेंगी। आगन्तक अपराह्न में ३ बजे दन्तधातु मन्दिर (दलदा मालि- सभी प्रतिनिधियों को सीमा बन्धन, प्रदीप पूजा, गाव ) में सभा प्रारम्भ हुई । आरम्भ में श्री प्रिय. भिक्षु-दीक्षा आदि लंका के सभी चारित्र दिखलाए रत्न नायक स्थविर ने पालि भाषा में सबका स्वागत गए एवं अनुराधपुर,पोलोन्नरुव, सीहगिरि आदि किया। तदुपरान्त असगिरि विहार के महानायक लंका के सभी प्रधान तीर्थ एवं दर्शनीय स्थानों का स्थविर का भाषण हुआ। उन्होंने अपने भाषण में दर्शन कराया गया। यह विचित्र एवं आश्चर्यजनक लंका और बौद्ध धर्म की विशेषताओं पर प्रकाश सम्मेलन शान्ति पूर्वक समाप्त हुआ। डालते हुए आधुनिक युग में प्रचार कार्य की आवश्- लंदन में बौद्ध विहार की स्थापना-लन्दन यकता की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। में शीघ्र ही एक बौद्ध विहार की स्थापना होगी,