Book Title: Dharmdoot 1950 Varsh 15 Ank 04
Author(s): Dharmrakshit Bhikshu Tripitakacharya
Publisher: Dharmalok Mahabodhi Sabha

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Page 25
________________ बौद्ध जगत् जिसमें भगवान् बुद्ध की अस्थियाँ रखी जायेंगी । लन्दन विहार-समिति के उपाध्यक्ष ने अखिल विश्व बौद्ध सम्मेलन में उस विहार की स्थापना की योजना की प्रगति का वर्णन किया । आपने कहा कि लंका के प्रधान मंत्री श्री सेनानायक ने मुझसे कहा कि जहाँ तक हो सकेगा वे ब्रिटेन की सरकार से विहार स्थापना के लिए जमीन दिलवायेंगे । कश्मीर में बौद्ध विहार – ७ मई को लद्दाख के बड़े लामा श्री कुशक वकुल ने कश्मीर के प्रधान मंत्री शेख अब्दुल्ला से भेंट की, जिसमें उन्होंने श्रीनगर में एक विहार बनाने के लिए प्रार्थना की। शेख अब्दुल्ला ने झेलम नदी के तट पर सुन्दर भूमि देने का वचन दिया है। कहा जाता है कि धन एकत्र होने पर मट-निर्माण का कार्य आरम्भ हो जायगा । र्मा द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार -- वर्मा बौद्ध धर्म के प्रचार की योजना कार्यान्वित करने जा रहा है। बौद्ध संस्थाओं की अखिल बर्मा परिषद् और महासंघ ने बर्मा के पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय नेताओं की सहायता से बौद्ध धर्म का प्रचार प्रारम्भ कर दिया है । स्याम तथा कलकत्ता के लिए शिष्टमण्डल भेजे गये हैं । स्याम से भी एक शिष्ट मण्डल शीघ्र ही वर्मा पहुँचेगा । आसाम का चार अहँ परिवार बौद्ध बना - अभावकों की पवित्र अस्थियों के देशपाणी में पहुँचने पर आसाम का चार अहुँ परिवार बुद्ध धर्म से प्रभावित होकर बौद्ध बन गया। बौद्ध हुए लोगों में अहुँ जाति के प्रसिद्ध नेता श्री नाथूराम गोगोई, अखिल आसाम अहुँ जाति के सभापति श्री दुर्गानाथ गोगोई, उपप्रधान मन्त्री तथा मेन्दागुरी हाई स्कूल के प्रधान अध्यापक श्री जयचन्द वाहगोहमन उल्लेखनीय हैं । बौद्ध दीक्षा लेने के पश्चात् शांति निकेतन के चीन भवन के प्रो० थान यून सान, तथा महाबोधि सभा के महामन्त्री श्री देवप्रियवलि सिंह ने उन लोगों को हार्दिक धन्यवाद दिया एवं उनकी मंगल कामना की। १११ स्याम द्वारा बुद्ध मूर्ति का दान - वैशाख पूर्णिमा के शुभ अवसर पर स्याम की बौद्ध समिति भगवान् बुद्ध की भव्य मूर्ति प्रदान की गई, जिसकी द्वारा कलकत्ता के प्रसिद्ध धर्माङ्कुर विहार को एक स्थापना उसी दिन उक्त विहार में हुई । बौद्ध विहारों के संरक्षण के लिए भारत द्वारा सहायता - भारत सरकार ने हिन्देशिया के बौद्धविहारों के संरक्षण एवं सुधार के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की है । विचार विमर्श एवं समुचित देख-रेख के लिए भारत ने एक पुरातत्वज्ञ को भी भेजने का वचन दिया है। भारत सरकार यह सब इसलिए करती है कि हिन्देशिया के स्मारक एवं अवशेषों की बहुत कुछ भारतीय इतिहास से लगाव है । इससे दोनों प्रजातंत्र देशों का मैत्रीसम्बध दृढ़ होगा । - विश्व की अत्यन्त सुन्दर बुद्ध मूर्ति जोग्याकार्ता, १२ जून । राष्ट्रपति सुकन आज नेहरूजी को बाहर के रमणीय स्थानों को दिखाने के लिए प्रसिद्ध स्मारक मेण्डट और बोरोबुदुर लिवा गये । वहाँ पर नेहरूजी ने तीन मूर्तियों को आध घण्टे तक निरीक्षण किया। मध्य की मूर्ति गौतम बुद्ध की है । यह मूर्ति एक ही ठोस पत्थर की बनी है। राष्ट्रपति सुकन ने कहा कि यह मूर्ति विश्व में अत्यन्त सुन्दर मूर्ति है । पुरातत्व विभाग के डाइरेक्टर जनरल डा चक्रवर्ती ने जो नेहरूजी के साथ थे, बताया कि यह मूर्ति बुद्ध के 'धर्मचक्र मुद्रा' की है । इस मूर्ति के दोनों ओर दो बोधिसत्व हैं । नेहरूजी भगवान् बुद्ध की शान्त मुद्रा की प्रशंसा करते रहें। आप ने सौगज की दूरी पर स्थित मन्दिर और आधुनिक ध्वंसावशेष को देखा जो डचों की पुलिस काररवाई के समय ध्वस्त किये गये थे ।

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