Book Title: Dharm aur Darshan Author(s): Devendramuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 7
________________ : ( ६ ) सम्बन्धी कुछ निबन्ध इस संग्रह में जा रहे हैं । धर्म और दर्शन का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत पुस्तक से पाठकों को हो सकेगा - यह मैं मानता हूँ । इन निबन्धों को लिखने की मूल प्रेरणा परम श्रद्धेय पूज्य गुरुदेव श्रीपुष्कर मुनि जी महाराज की रही है । उनकी अपारकृपा, मार्ग-दर्शन और प्रोत्साहन के कारण ही मैं कुछ लिख सका हूँ । मेरे शब्द कोष में उनके प्रति आभार प्रदर्शित करने के लिए उपयुक्त शब्द नहीं है । परम श्रद्धय कविरत्न उपाध्याय श्री अमरचन्द्र जी महाराज का असीम अनुग्रह भी मैं विस्मृत नहीं कर सकता जो मुझे सदा अध्ययन एवं लेखन की उत्साह भरी प्रेरणाएं देते रहे हैं । साथ ही उन्हीं के प्रधान शिष्य कलमकलाधर श्री विजय मुनि जी, शास्त्री, साहित्यरत्न ने मननीय प्रस्तावना लिखकर मुझे अनुगृहीत किया । जैन जगत के यशस्वी लेखक और तेजस्वी सम्पादक पण्डित श्री शोभाचन्द्र जी भारिल्ल का हार्दिक स्नेह भी भुलाया नहीं जा सकता जिन्होंने निबन्धों को पढ़कर मुझे उत्साह बद्धक प्रेरणा ही नहीं दी, किन्तु मेरा स्वास्थ्य ठीक न होने से एक दो निबन्धों का सम्पादन भी किया । सिद्धान्त प्रभाकर श्री हीरामुनि जी, साहित्यरत्न शास्त्री गणेश मुनि जी, जिनेन्द्रमुनि, रमेशमुनि, राजेन्द्र मुनि और पुनीत मुनि प्रभृति मुनि-मण्डल का प्रेमपूर्ण सेवा व्यवहार भी लेखन में सहायक रहा है । उन सभी के प्रति में हृदय से आभारी हूँ, जिनका मुझे लेखन और प्रकाशन में सहयोग मिला है । तथा भविष्य में भी अधिकाधिक मिलता रहे इसी आशा और विश्वास के साथ 'विरमामि । हरषचन्द्र कोठारी हॉल, " राज हँस" बालकेश्वर बम्बई ६ न 98819 Jain Education International For Private & Personal Use Only - देवेन्द्रमुनि www.jainelibrary.orgPage Navigation
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