Book Title: Deepratnasagarjina 585 Prakashanoni Suchi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 22
________________ 9 19 22 5 3925 $4 e_file_no. (8) आगम-मंजूषा (मूल-प्रत) (माना पानाथी याद) કુલ પાના ભાષા ક્રમ 312 3919 आगम मंजूषा 19 उवांगसत्तम मूल 08 निरयावलियाणं प्राकृत 313 3920 | | आगम मंजूषा 20 उवांगसुत्तम मूल 09 कप्पवडिसियाणं 3 प्राकृत 314 3921 आगम मंजूषा 21 उवांगसुत्तम मूल 10 पुप्फियाणं प्राकृत 21 315 3922 | आगम मंजूषा 22 उवांगगसुत्तम मूल 11 पुप्फचूलियाणं प्राकृत 316 3923 | आगम मंजूषा 23 उवांगसुत्तम मूल 12 वण्हिदसाणं प्राकृत 23 317 3924 | आगम मंजूषा 24 पइन्नगसुत्तम मूल 01 चउसरणं प्राकृत 24 318 | आगम मंजूषा 25 पइन्नगसुत्तम मूल 02 आउरपच्चक्खाणं प्राकृत 25 319 3926 | आगम मंजूषा 26 पइन्नगसुत्तम मूल 03 महापच्चक्खाणं प्राकृत 320 | आगम मंजूषा 27 पइन्नगसुत्तम मूल 04भत्तपरिण्णा 6 प्राकृत 27 321 | आगम मंजूषा 28 पइन्नगसुत्तम मूल 05 तंदुलवेयालियं ____10 प्राकृत 28 322 3929 | आगम मंजूषा 29 पइन्नगसुत्तम मूल 06 संस्तारकं 5 प्राकृत 323 3930 आगम मंजूषा 30 पइन्नगसुत्तम मूल 07 गच्छायारो | 6 प्राकृत 30 324 3931 | आगम मंजूषा 31 पइन्नगसत्तम मूल 08 गणिविज्जा 4 | प्राकृत 31 आगम मंजूषा 32 पइन्नगसत्तम मल 09 देविंदत्थओ प्राकृत 326 3933 | आगम मंजूषा 33 पइन्नगसुत्तम मूल 10 मरणसमाहि प्राकृत 327 3934 | आगम मंजूषा 34 छेयसुत्तम मूल 01 निसीहं प्राकृत 3935 आगम मंजूषा 35 छेयसुत्तम मूल 02 बृहत्कप्पो ___11 प्राकृत 35 329 | 3936 आगम मंजषा 36 छेयसत्तम मूल 03 ववहारो ___ 14 प्राकृत 36 (8) आगम-मंजुषा (मल-प्रत) पछीना पाने यालु 3928 29 325 16 15 7 / 328 2 મુનિ દીપરત્નસાગરજીના પ્રકાશનો Page 22 585 पुस्तही, तारी- 31/10/2017 सुधी

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