Book Title: Deepratnasagarjina 585 Prakashanoni Suchi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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ક્રમ
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e_file_no.| (15) आगम सुत्ताणि सटीकं 1 (प्रताकार) याना पानाथी यातुन पाना ભાષા 423 4137 आगम ३७ दशा श्रुतस्कंध मूलम् एव
प्राकृत 424 4138 आगम ३८ ए जितकल्प मूलम् एवं भाष्य
59
प्राकृत 425 4139 - आगम ३८ बी पंचकल्प भाष्य एव
56
प्राकृत 426 4140 आगम ३९ महानिशिथ मूलम् एव
सस्कृत, प्राकृत 427 4141 आगम ४० आवश्यक मूलम् एवं वृत्ति
1736 | संस्कृत, प्राकृत 428 4142 आगम ४१ १ ओघनियुक्ति मूलम् एवं वृत्ति
459 संस्कृत, प्राकृत 429 4143 आगम ४१ २ पिंडनियुक्ति मूलम् एवं वृत्ति
364 | संस्कृत, प्राकृत 430 4144 आगम ४२ दशवैकालिक मूलम् एवं वृत्ति
577 संस्कृत, प्राकृत 431 4145 आगम ४३ उत्तराध्ययनानि मूलम् एवं वृत्ति
1428 संस्कृत, प्राकृत 432 4146 आगम ४४ नंदिसूत्र मूलम् एवं वृत्ति
514 संस्कृत, प्राकृत 4147 | | आगम ४५ अनुयोगद्वार मूलम् एवं वृत्ति
547 संस्कृत, प्राकृत 4148 | कल्प बारसा सूत्र
145 | सस्कृत, प्राकृत 435 4149 आगम २४ चतुशरण मूलम् एवं वृत्ति
45 | प्राकृत 436 4150 आगम २८ तंदुलवैचारिक मूलम् एवं वृत्ति 437 4151 आगम ३० गच्छाचार मूलम् एवं वृत्ति
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२-15] कुल पुस्त 51 दुख पाना 17992
મુનિ દીપરત્નસાગરજીના પ્રકાશનો
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585 पुस्ती , तारी-31/10/2017 सुधी
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