Book Title: Danchandrika
Author(s): Divakar, Gajanand Shastri
Publisher: Hariprasad Sharma

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Page 93
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दान ॥४२॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अक्षयकामस्तुभ्यमहं संप्रददेनममेति ॥ मंत्रस्तु ॥ कामधेनोः समुद्धतंसर्वक्रतुषुसंस्थितम् । देवानामाज्य चंद्रि० माहारअतः शांतिंप्रयच्छमे ॥ इत्याज्यदानम् || ॥ अथवस्त्रदानम् ॥ सूक्ष्मवस्त्रयं बहुमूल्यमष्टहस्तमितंद द्यात् ॥ अद्येत्या० समस्तपापक्षयकामइमे बार्हस्पत्येवाससीगोत्रायशर्मणे तुभ्यमहं संप्रददेनममेति ॥ मंत्रस्तु ॥ शीतवातोष्णसंत्राणंलज्जायारक्षणंपरम् ॥ देहालंकरणवस्त्रमतः शांतिंप्रयच्छमे ॥ इतिवस्त्र दानम् ॥ ॥ अथधान्यदानम् ॥ सार्द्धखारीयंत्रीहयोंदेयाः तच्चसार्द्धशतदयमणपरिमितंमणपदकंचेति ॥ समस्तपापक्षयपूर्वकैहिकामुष्मिकशिवफलावाप्तिकामः प्रजापतिदैवत्यं इदममुक संख्यं धान्यं गोत्रायशर्म णे तुभ्यमहं संप्रददे नममेति ॥ मंत्रस्तु ॥ सर्वदेवमयं धान्यंसर्वोत्पत्तिकरंमहत् ॥ प्राणिनांजीवनो पायमतः शांतिंप्रयच्छमे ॥ इतिधान्यदानम् ॥ ॥ अथगुडदानम् ॥ गुडंपलषष्टिमितंदद्यात् ॥ अद्येत्या दि० ममसमस्तपापक्षयपूर्वकं गृहे लक्ष्म्याः स्थैर्येसिड्यैइमंगुडं रसवर्य सोमदैवतं सदक्षिणं गोत्रायशर्मणे सुपूजिताय तुभ्यमहं संप्रददे नममेति ॥ मंत्रस्तु ॥ गुडमिक्षुरसोद्भूतंमंत्राणां प्रणवोयथा ॥ दानेनानेन ॥४२॥ मतस्यपरालक्ष्मीः स्थिरागृहे ॥ इतिगुडदानम् || ॥ अथरजतदानम् ॥ पलत्रयमितंरौप्यंदद्यात् ॥ अद्ये For Private and Personal Use Only

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