Book Title: Chintan ke Zarokhese Part 1 Author(s): Amarmuni Publisher: Tansukhrai Daga Veerayatan View full book textPage 5
________________ उसी तरह वीरायतन प्रेमी पूनाके प्रभात प्रिंटींग वर्क्स के मालिक भाई कनकमल मुनोत ने स्वयं आत्मीयतापूर्वक प्रफ रीडिंग किया तथा श्री. भारदे जी के 'आमुख' का हिन्दी अनुवाद किया। उनके सुपुत्र श्री. प्रदीप ने अपने संघटना चातुर्य और मुद्रण कुशलता से इतने कम समय में सुंदर आकर्षक मुद्रण संपन्न किया इस लिये इन पिता पुत्र का वीरायतन आभारी है। ____ हमें आशा है यह प्रकाशन समाज में विचार क्रांति करने में मददगार होगा। वीरायतन नवलमल फिरोदिया अध्यक्ष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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