Book Title: Chintan ke Kshitij Par
Author(s): Buddhmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ प्राथमिकी मनुष्य चिन्तनशील प्राणी है। जागृत अवस्था में तो वह चिन्तन करता ही है, स्वप्नावस्था में भी करता है । बुद्धि उसके चिन्तन को सौष्ठव प्रदान करती है, विवेक गहराई, स्मति स्थायित्व तो कल्पना नव-नव उन्मेष। इन सभी विशेषताओं से संपन्न मनुष्य जब चिन्तन के क्षेत्र को अपने आसपास तक ही सीमित रखता है तब वह अपने एवं अपने से संबंधित व्यक्तियों की समस्याओं तक ही सीमित रहता है, परन्तु जब उसके चिन्तन का क्षेत्र क्षितिज की दूरियों तक विस्तार पाता है तो उसके लिए हर विषय बहु-आयामी होकर बहुत-बहुत विस्तीर्ण हो जाता है । उस स्थिति में उसके लिए बाह्य समस्याओं के समाधान की खोज गौण तथा आभ्यंतर की मुख्य हो जाती है। अध्यात्म, धर्म, संस्कृति और समाजगत समस्याओं के समाधान चिन्तन के इसी बिन्दु पर अन्विष्य होते हैं। प्रस्तुत पुस्तक का नाम उपर्युक्त परिप्रेक्ष्य में रखा गया है-चिन्तन के क्षितिज पर । इसमें मेरे उन लेखों का संकलन है, जो सामयिक आवश्यकताओं पर लिखे गए तथा दैनिक एवं मासिक आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। इन्हें विभागीकरण के द्वारा व्यवस्थित एवं सम्पादित करने का कार्य मुनि धनंजयकुमारजी ने किया है। एतदर्थ उनके प्रति प्रमोद भावना व्यक्त करता हूं। यदि वे इस ओर प्रवृत्त नहीं होते तो संभव है, लंबे समय तक इन्हें पुस्तकाकार ग्रहण करने का अवसर उपलब्ध नहीं हो पाता। विभिन्न सुगंधों एवं वर्गों के पुष्पों का अपना एक महत्त्व तथा उपयोग है फिर भी जब वे माला के रूप मे गुंफित हो जाते हैं तब एकात्मकता के आधार पर उनका महत्त्व तथा उपयोग अधिकतर हो जाता है। मेरे इन प्रकीर्ण लेखों के विषय में भी यही कहा जा सकता है। जिज्ञासु जन इस उपक्रम से अवश्य ही लाभान्वित होंगे तथा चिन्तन के क्षितिज पर उतर आने वाली समस्याओं का समाधान प्राप्त करेंगे, ऐसी आशा करता हूं। मुनि बुद्धमल्ल जैन विश्व भारती लाडनं (राजस्थान) २२ फरवरी १९६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 228