Book Title: Chaturvinshatiprabandha
Author(s): Rajshekharsuri, Hiralal R Kapadia
Publisher: Harsiddhbhai Vajubhai Divetia

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Page 305
________________ ज-परिशिष्टम् | शौरिन् ८२ बैरोट्या ८,१०-१२, २३ शीलवती १३ वैरोख्यास्तव १२ शूद्रक १४०-१५, १५१ व्याघराज १०३-१०५ शेफालिका ३७ शेष ३९, १३६, १३९ शोभनदेव २४, २५, २४ शक्तिकुमार १५१ शङ्कर १९७ श्यामल १०६, १०७ शङ्ख २१९, २२० धावकंप्रज्ञप्ति ५२ शखेश्वर २५५ श्री १४४ शची २२१ श्रीतिलक १, २५९ शतक १२ श्रीपत्तन १०३ शतानीक १७५ श्रीपर्वत २१८ शत्रुजित् ४ श्रीपाल ९९, १००, १८१ शत्रुञ्जय २५, २६, ४४, १५, ७, श्रीमात २४३ ९५, १००, १०१,१७०, १९२, | श्रीमाल १९९ १९३, १९८, २०५, २२१, श्रीमालपुर ५२, १०० २२९, २३३, २३६, २३८, | श्रीहर्ष २, ११२-११७, ११९, १२४ २४०, २४२, २५०, २.४, श्रुतकीर्ति १३ २५६, २५७ | श्रुतशील २३१ शम्भु ८२, ११९ श्रेणिक ४४, ९०, १००, २३१ शराविका १५५ श्वेत २५६ शाकम्भरी १०३, १०५, १०८ शातवाहन ९. पण्डेर ११० शान्तनु ७५ षोडशक ५२ शान्ति २२४ शान्तिनाथचरित ९७ सतारकाक्षपुर ८६ शान्तिपर्वन् २२७ सदीक २१८, २१९ शाम्ब ३३४ सपादकोटीकाश्चनवर्ष १२५ शाल ८४ . सपादलक्ष १०५, १०८, २५६ शालिमद्र ३८ सपादलक्षीय १०४ शिलादित्य ४-४८, २३५ समरसिंह २१२ शिव ०, १२, १९२ समराइच्च ५१ शिवपुराण २२७ समराक २५० शिवा ८७, २२१ समरादित्यचरित्र ५२

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