Book Title: Chaturvinshati Stotra
Author(s): Mahavirkirti
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti

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Page 323
________________ चतुर्विशति स्तोत्र ईसरी और बाराबंकी चातुर्मास के बाद वाचन गजा बड़वानी के चातुर्मास में आचार्य महावीर कीर्ति के पास आचार्य विमल सागर की आज्ञा से अध्यन प्रारम्भ किया | मांगी तुंगी श्रवण बेल गोला, हम्बुज, कुंथुलगिरि, गजपंथा, मागी तुंगी, गिरनार, चातुर्मास के बाद आप को ३ जनवरी १९७२ को आप के विद्या गुरु ने महसाना (गुजरात) में अपनी समाधि से पूर्व गणिनि पद पर प्रतिष्टित किया । इस वीसवीं सदी में आप प्रथम गणिनि बनी । शिखर जी, रांची, शिखर जी, चम्पापूर,आरा, सोनागिरि, शाहगढ़ के चतुर्मास में ब्र. किरण को क्षुल्लिका दीक्षा दी, नाम कुलभूषणमती रखा, तथा ५ अन्य को बालब्रह्मचारिणी की दीक्षा दी | अकलूज, श्रवण वेल गोला पोन्नूर मलैं में ब्र. आदेश तथा ब्र. कुसुम को गृह त्याग करा सप्तम प्रतिमा के व्रत दिये । कडलूर (ओरी: पोन्नूर मलैं के चतुर्भास में अश्विन शुक्ला १0 को ब्र. आदेश तथा ब्र.संध्या को क्षुल्लिका दीक्षा दी [ नाम क्रमशः जय प्रभा एव जियप्रभा रखा । क्षुल्लक सिद्धनन्द को मुनि दीक्षा दे कर समाधि कराई। मद्रास, पांडीचेरी, पोन्नूबल, श्रवण वेलगोला, इंचल करंजी, अकलूज के चातुर्मास में कार्तिक शुक्ला१ ता. १/१०/९० को केशर बाई को आर्यिका दीक्षा देकर समाधि कराई । गजपंथा चतुर्मास मेब्र. नन्द लाल को मुनि दीक्षा देकर समाधि कराई फूलाबाई को सप्तम प्रतिभा के ब्रत दिये, और २५ नवम्बर १९९१ को उनको आर्यिका दीक्षा देकर समाधि कराई । ईडर, बलूदा, जयपूर, कांमा, सोनागिरि गुनौर, शिखर जी के चातुर्मास के बाद बर्तमान में स संघ चम्पापूर में चातुर्मास कर रही है | आप के द्वारा प्रतिपादितर ग्रंथ:-- आत्मवैभव, आत्मचिंतन, नारी वैभव, तजोमान करो ध्यान, पुनर्मिलन , सच्चाकवच, महीपाल चरित, तमिल तीर्थ दर्पण, कुंद कुंद शतक प्रथमानुयोग दीपिका, अमृतवाणी, जिनदत्त चरित, श्रीपालचरित, अहिंसा को विजय, शील की महिमा, आदि शिक्षा दिव्यदेशना == २३३ === = = =

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