Book Title: Chaturvinshati Stotra
Author(s): Mahavirkirti
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 324
________________ चतुर्यिशति स्तोत्र अन्तिम दिव्यदेशना, उद्धबोधन, आचार्य श्री १०८महावीर कीर्ति का जीवन परिचय , विमल पताका, ओमप्रकाश कैसे बना सि.च. आचार्य सन्मति सागर, नीति वाक्या मृत, जिन धर्म रहस्य का पद्यनुवाद और चतुर्विशतिस्तव है | ऐसे महान व्यक्तित्व की धनी, अपार कृतित्व की सागर तथा तप. ज्ञानाचरण की दिवाकर, आर्यिका रल, प्रथम गणिनि श्री विजय मती माता जी स्व-पर कल्याण में रत रह कर सतत धर्म प्रभावना करती रहे । यही झार्दिक भावना नीर के बाईना २३४

Loading...

Page Navigation
1 ... 322 323 324 325 326 327