Book Title: Char Laghu Stotra Kavyo Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 1
________________ ४० मार्च २००८ श्रीमुनिरत्नसिंहविरचित चार लघु स्तोत्र-काव्यो सं. मुनि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयौ जैन मुनिओए संस्कृत भाषामां रचेलं स्तोत्रसाहित्य विपुल तो छ ज, परन्तु वैविध्यपूर्ण पण छे. विविध अलंकारोना प्रयोगो, विविध छन्दोनो उपयोग, पादपूर्ति-रूप काव्यो, एवा एवा अनेक साहित्यप्रकारोनुं सेवन कहो के सर्जन, जैन कविओए खोबले खोबले कयुं छे. ए बधांनो उपयोग करीने तेमणे मात्र इष्टदेव - गुरुनी स्तुति अने भक्ति ज करी छे, पण कोई भौतिक लाभना आशयथी तेम नथी कर्यु, ते खास नोंधवा योग्य छे. आवा असंख्य स्तोत्रकाव्यो, वीतेलां वर्षोमां प्रकाशित थई ज चूक्यां छे, अने छतां हजी पण हस्तप्रतसंग्रहोमांथी नवां नवां स्तोत्रो प्रकाशमा आवतां ज जाय छे. अहीं आवां चार लघु काव्यो प्रस्तुत करवामां आवे छे. ते चार काव्यो क्रमशः १. श्रीपार्श्वनाथ स्तोत्र, २. श्रीसुजैत्रपुरमण्डनमहावीरजिन स्तोत्र, ३. सर्वजिनसाधारण स्तोत्र, ४.आनन्दलहरी स्तोत्र ए प्रमाणे छे. प्रथम बे स्तोत्रो वसन्ततिलका छन्दमां, त्रीचं स्तोत्र भुजङ्गप्रयातमां, अने चोथं शिखरिणी छन्दमां छे. शब्दरचना भक्तिप्रवण होवा साथे प्रासादिक तेमज प्राञ्जल जणाय छे. प्रथम ३ स्तोत्रो स्वतन्त्र रचनात्मक छे, चो, स्तोत्र समस्यापूर्तिरूप छे. ते चोथा स्तोत्रनुं नाम आनन्दलहरी छे. आदि शङ्कराचार्ये रचेल, अनेक तन्त्र-यन्त्राम्नाययुक्त देवीस्तोत्र सौन्दर्यलहरी ए तन्त्र साहित्यमा तेमज स्तोत्रकाव्योमा शिरमोरसमी रचना गणाय छे. तेना केटलांक पद्योनां प्रथम तथा अन्तिम चरणोने लई तेनी पादपूर्ति किंवा समस्यापूर्तिरूप स्तोत्ररचना ते आ आनन्दलहरी स्तोत्र. आमां जिनस्तुति करवामां आवी छे. १६ पद्यात्मक आ रचनाना प्रथम पद्यमां ज कर्ताए सौन्दर्यलहरीनां प्रथम-चरम चरणो उद्धरीने जिनस्तुतिनी रचना करवानो पोतानो मनोरथ प्रगट करेल छे. आ स्तोत्र प्रकाशमां आवतां पादपूर्तिसाहित्यमां एक मूल्यवान् कृतिनो उमेरो थाय छे. स्तोत्र क्र. २ सुजैत्रपुरमण्डन महावीर जिननुं स्तोत्र छे. आ सुजैत्रपुर ते कयुं क्षेत्र हशे, ते जाणी शकायुं नथी. जाणकारो ते विषे प्रकाश पाडे तेवी आशा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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