Book Title: Chapter on Passion
Author(s): N L Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 335
________________ Appendix 4 : (321) 43 243/209 47 210 134 209 32 134 19 49 197 10 195 212 196 44 208 चत्तारि वेदयम्मि दु चदुर दुगं तेवीसा चरिमे बादररागे चरिमो य सुहुमरागो चरिमो बादररागो चोद्दसग दसग सत्तय चोद्दसग णवगमादी छव्वीस णोकसाया छव्वीस सत्तावीसा छण्हं आवलियाणं जसणाममुच्चगोदं जा चावि बज्झमाणी जाव ण छदुमत्थादो जा वग्गणा उदीरेदि जा हीणा अणुभागेण जे चावि य. अणुभागा जे जे जम्हि कसाए जो कम्मंसो पविसदि जो जम्हि संछुहंतो जो जं संकामेदि जं किहि वेदयदे जं चावि संछुहंतो जं चावि संछुहतो झीण ट्ठिदिकम्मसे हिदि अणुभागे अंसे ट्ठिदि उत्तरसेढीए 245 226 णगपुढविवालुगोदय णव अट्ठ सत्त छक्कं णाणम्हि ये तेवीसा णिद्दा य णीचगोदं णिरयगइ अमर णियमा लदासमादो णियमा लदासमादो णिव्वाघादेणेदा तदिया सत्तसु किट्टीसु तिण्णि च चउरो तह तेरसय णवय सत्तय तेवीस सुक्कलेस्से दससु च वस्सस्संतो. दिट्टे सुण्णासुण्णे दुविहो खलु पडिवादो दोसु गदीसु अभज्जाणि दंसणमोह-उवसामगस्स दंसणमोहक्खवणा दंसणमोहस्सुवसामणाए दसणमोहस्सुवसामगो ज जं खवेदि किडिं जं वेदेंतो किडिं पच्छिम आवलियाए पज्जत्तापज्जत्तेण पज्जत्तापज्जत्ते पडिवादो च कदिविधो 55 172 121 227 183 91 68 224 143/239 62 95 177 218 216 217/244 216 126 228 186 157 187 201 120 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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