Book Title: Chapter on Passion
Author(s): N L Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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(322) :
Chapters on Passions
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पढमा च अणंतगुणा
175 पढमं बिदियं तदियं
215 पयडि पयडिट्ठाणेसु पयडीए मोहणिज्जा पुव्वम्मि पंचमम्मि दु पेज्ज-दोसविहत्ती
3, 13 पेज्जं वा दोसो वा पच चउक्के बारस पंच य तिण्णि य दो पंचसु च ऊणवीसा बहुगदरं बहुगदरं बारस णव छ तिण्णि य बिदियट्ठिदि आदिपदा बिदियादो पुण पढमा बिदियादो पुण पढमा 170 बंधेण होइ उदओ 241/144 बंधेण हाइ उदओ 143/240 बंधेण हाई उदओ
143 बंधो व संकमो वा
142 बंधो व संकमो या
147 बंधो व संकमो वा बंधो व संकमो वा
219 बंधोदएहिं णियमा माणद्धा कोहद्धा माणमददप्पथंभो माणे लदासमाणे
75 माया य सादिजोगी
171
मिच्छत्तवेदणीयं मिच्छत्तपच्चओ खलु मिच्छत्तवेदणीए मिच्छाइट्टी णियमा लद्धी य संजमासंजमस्स लद्धी य संजमासंजमस्स लेस्सा साद असादे वड्डीदु होइ हाणी वस्ससदसहस्साई वावीस पण्णरसगे विरदीए अविरदीए वेदगकालो किट्टीय वेदे च वेदणीए वंसीजण्हुगसरिसी सण्णीसु असण्णीसु सत्त य छक्कं पणगं सत्तारसेगवीसासु समयूणा च पविट्ठा सम्मत्तदेसविरयी सम्मत्तपढमलभो सम्मत्तपढमलंभस्स सम्माइट्ठीजीवो सम्मामिच्छाइट्ठी सम्मामिच्छाइट्ठी भयसोगमरदिरदिगं सव्वणिरय भवणेसु सव्वस्स मोहणीयस्स
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