Book Title: Chandani Bhitar ki
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 8
________________ इसकी उपयोगिता योगक्षेम वर्ष के बाद भी रहेगी, इस बात को ध्यान में रखकर प्रज्ञापर्व समारोह समिति ने महाप्रज्ञ के प्रवचनों को जनार्पित करने का संकल्प संजोया। चांदनी भीतर की उसका सातवां पुष्प है। जिन लोगों ने प्रवचन सुने हैं और जिन्होंने नहीं सुने हैं, उन सबको योगक्षेम यात्रा का यह पाथेय आत्म-दर्शन की प्रेरणा देता रहेगा और उनकी चेतना के बंद द्वारों को खोलकर प्रकाश से भर देगा, ऐसा विश्वास है। २१ अगस्त, १९६२ जैन विश्व भारती, लाडनूं (राज०) आचार्य तुलसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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