Book Title: Chaiyavandanmahabhasam
Author(s): Shantisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 179
________________ ..१११ १२ छम् पापारम्बः एल समवई ... ८५/संपासिया परसाई ... ... संक्ति मेहार ... ... एवं विषमवम्मिी ... एवं विमेवराई संबिधुत्तमह... ... एवं पुष बरते एति मानवनिहिया ... एवं पुष हुनर एवं परंपराए ... ... एत्व य तहब विमत्ती एवं परिमावतो ... ... एष व पुरुसहए ... एवं बाणवारा ... . ... एमाह मंगपूगा ... .... एका उत्पपिई ... एमाइ कारणेहि ... ... एसा उपयमाचा . ... एवं दुहा वि एवं ... एसा वा विद...... एवं परमं ततं ... ... एसा नरपरारा ... .... एवं पि जुत्तिबुतं । ... एसा समतिबाट ... एवं पुन तिविहं पिड ... एस वि विहिष... एवम्मि संपविडा एसो इह भावलो ... एयस्स बक्खरतो ... एसोविय भवनो ... एक्स्स उ बक्सा ... एसो सम्मेवगयो ... ... एयरस एसो बोमपत्तो... ... एयाए भावत्वं ... एयासिं गाहामं ... एसो परस्टचे ... ... एयासि निहेसो ... एसो विमावतो ... एवं विमलं बुदि... एसो देव ... ... एवंविहदुनयनिर- ... ए हो वारंवे ... ... एवं संखेवेणं ... ... ... १२५ मोहिमनपबक्वादि- ... एवं संवेगरसा-... ... किवि हमी ... एवं सिद्धपयत्वी ... .... यसाहिलो... .. एवं मुहमावजुयं ... तिरं मे पावं ... एवमवत्वाण नियं प्पं वा पापा... ... एवं किर दंडोस ... १२५ मसोल संवता..... एवं गत असो.... ... ९. खतिपुर .. एवं बह नित्ववरा ... कम्ममवत्तमीज... ... एवं बठप्पयारा ... ... ... १२. बचाव जिया......

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