Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Author(s): Shivnath Lumbaji
Publisher: Porwal and Company

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२२ १२४ १५ (८) ११२था११६ श्री सिद्धाचलजीनां पांच .... १३२थो१३६ ११७थी१२१ श्री सिद्धचक्रजीनां पांच... .... १३७थी१४० श्री वीशरथनकन (हारे मारे प्रणमुं सरस्वती) १४१ १२३ दीवाळीनुं (दीवाळीने दहाडेरे वीरप्रभुपामी) . १४२ श्री पयुषण- (प्रभु वीर जिगंद विचारी) १४३ श्री गौतमस्वामीन (पहेलो गणधर वीरनोरे) १४४ ॥ छंद पांचनी अनुक्रमणिका ॥ १ श्री जिन सहस्रनाम वर्णन (जगन्नाथ जगदीश जग) २०४ २ श्री शांतिजिन विननिरूप ( शारद माय नमुं शिर) २०७ ३ श्री पार्श्वनाथनो (वंदो देव वामेय देवाधि देवं) २०९ ४ श्री नवकारनो लघु छद (सुखकारणभवियण) ... २१० ५ आत्महित विनति (प्रभु पाय लागी करुं सेव नारी) २११ ॥परचुरण विषय नव नी अनुक्रमणीका ॥ १ प्रभातमां भावव नो भावना .... .... २१२ २ प्रभातना पञ्चरकाण बार .... ....२२०थी२२४ ३ सांझना पश्चग्काग पांच ...२२४थो२२५ ४ श्री रत्नाकर पञ्चोशीना गुजराती अनुवादना काव्यो ... ...२२५थी२३० ५थी ६ आरती बे २३० ७ थी ८ मंगल दीवा बे .. २३१ ९ पुस्तकोनी जाहेर खबर For Private And Personal Use Only

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