Book Title: Bhikshu Vichar Darshan Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 8
________________ १२४-१४३ १२४ १३३ १४४-१८६ १४४ १४५ १४६ १४६ १४६ १४७ १५० १५२ १५५ १५७ १६० ५. क्षीर-नीर १. सम्यक् दृष्टिकोण २. अहिंसा का ध्येय ६. संघ-व्यवस्था १. यह मार्ग कब तक चलेगा? २. मर्यादा क्यों? ३. मर्यादा क्या? ४. मर्यादा का मूल्य ५. मर्यादा की पृष्ठभूमि ६. मर्यादा की उपेक्षा क्यों? ७. अनुशासन की पृष्ठभूमि ८ अनुशासन के दो पक्ष ६. अनुशासन का उद्देश्य १०. विचार-स्वातन्त्र्य का सम्मान ११. संघ-व्यवस्था १२. गण और गणी १३. निर्णायकता के केन्द्र १४. गण में कौन रहे? १५. गण में किसे रखा जाए? १६. पृथक् होते समय १७. गुटबन्दी १८ क्या माना जाए? १६. दोष-परिमार्जन २०. विहार ७. अनुभूतियों के महान् स्रोत १. कथनी और, करनी और २. भेद का भुलावा ३. बहुमत नहीं, पवित्र श्रद्धा चाहिए ४. अनुशासन और संयमी ५. श्रद्धा दुर्लभ है ६. जैन-धर्म की वर्तमान दशा का चित्र १६२ १६६ १७१ १७२ १७५ १७७ १७८ १७६ १८३ १९७-२०६ १७७ १७७ १८८ १८६ १८६ १६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 218