Book Title: Bhikshu Vichar Darshan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 218
________________ - जैसे-जैसे काल की लम्बाई बढ़ती है वैसे-वैसे उसका आवरण सबको आवृत करता जाता है। किन्तु उन्हें अनावृत करता है, जिनका जीवन तपःपूत रहा है। आचार्य भिक्षु महान् तपस्वी थे। उनकी तपस्या का वलय इतना शक्तिशाली था कि उसके परमाणु हजारों वर्षों तक अपना प्रभाव सुरक्षित रख पाएंगे। आचार्य भिक्षु द्वारा जो सत्य अभिव्यक्त हुआ, वह इतना चिरन्तन था कि उसे शाश्वत की तुला में तोला जा सकता है, वह इतना सामयिक है कि उसे वर्तमान की धारा का स्रोत कहा जा सकता है। . 'भिक्षु-विचार दर्शन' आचार्य भिक्षु के विचार-बिन्दुओं का एक लघुसमाकलन है। यह मैंने उस समय लिखा जब आचार्य भिक्षु जनता की दृष्टि में सांप्रदायिक अधिक, दार्शनिक कम थे / वर्तमान संस्करण उस समय हो रहा है, जब आचार्य भिक्षु जनता की दृष्टि में दार्शनिक अधिक, साम्प्रदायिक कम हैं। जनता ने आचार्य भिक्षु के विचारों को समझने में रुचि ली है। इसका अर्थ है कि लोग व्यवहार के धरातल से उतरकर नैश्चयिक सत्य तक पहुंचना चाहते हैं। -आचार्य महाप्रज्ञ

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