Book Title: Bharatiya Murti kala me Trivikram
Author(s): Brajendranath Sharma
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 14
________________ बजेन्द्र नाथ शर्मा २५७ ] लेख में वर्णित निम्नलिखित उत्तरी भारत की मध्यकालीन कुछ प्रतिमाओं से यह बात पूर्णतया स्पष्ट होगी।१२ - मन्डोर (राजस्थान) से प्राप्त एवं जोधपुर संग्रहालय में सुरक्षित प्रतिमा पर एक साथ छत्रधारी वामन तथा त्रिविक्रम प्रदर्शित मिलते हैं । १3 राजस्थान से प्राप्त एक अन्य त्रिविक्रम प्रतिमा का वर्णन एवं चित्रण गोपीनाथ राव ने प्रस्तुत किया है। प्रतिमा इन्डियन म्यूजियम, कलकत्ता में है। त्रिविक्रम के उठे बाएं पैर के ऊपर ब्रह्मा पद्मासन पर विराजमान हैं । दाहिने पैर के समीप वीणाधारिणी देवी खड़ी हैं और सामने गरुड़ शुक्राचार्य पर झपटता सा प्रतीत होता है ।१४ विलास तथा अट्र से प्राप्त त्रिविक्रम की अन्य मूर्तियां कोटा संग्रहालय में देखी जा सकती हैं । मन्दिरों की नगरी ओसियां (जोधपुर) १५ में स्थित विष्णु मन्दिर के पीछे की दीवार पर चत भजी त्रिविक्रम की भव्य प्रतिमा निर्मित है। १६ ऐसी ही एक अन्य प्रतिमा 'माता का मन्दिर' पर भी देखी जा सकती है ।१७ यहीं के सूर्य मन्दिर १ पर बनी चर्तुभुजी मूर्ति में राक्षस नमुचि भगवान् का दाहिना पैर पकड़े प्रदर्शित है और बांया पैर ऊपर उठा है ! सामने निचले भाग पर बलि द्वारा वामन को दान देने का दृश्य अंकित है (चित्र ४) । त्रिविक्रम की एक प्रतिमा बुचकला के प्रसिद्ध पार्वती मन्दिर के एक आले में विद्यमान है । चित्तौड़गढ़ के कुम्भ स्वामी मन्दिर पर भी त्रिविक्रम की एक प्रतिमा बनी है।१७ अकसरा (गुजरात) में स्थित विष्णु के एक देवालय की विभिन्न ताकों में गरुड़ासीन लक्ष्मी नारायण, वराह आदि मूर्तियों के साथ त्रिविक्रम की भी एक खण्डित मूर्ति विद्यमान है । १८ भुवनेश्वर (उड़ीसा) के अनन्त वासुदेव मन्दिर के उत्तरी अोर के एक प्राले में त्रिविक्रम का चित्रण प्राप्त है।१६ यहीं के प्रसिद्ध लिंगराज मन्दिर के चारों ओर निर्मित छोटे छोटे देवालयों में अन्य देवी-देवताओं के साथ त्रिविक्रम की भी प्रतिमा मिलती है । २० कुरुक्षेत्र (पंजाब) से त्रिविक्रम की एक महत्वपूर्ण मूर्ति उपलब्ध है ! इसमें वे चक्र पुरुष तथा शंख पुरुष नामक आयुध-पुरुषों सहित खड़े हैं । नीचे दोनों ओर लक्ष्मी और भूमि है। किनारों पर नाग १२. शिवराममूर्ति, सी०, ज्योग्रेफिकल एण्ड क्रोनोलोजिकल फेक्टर्स इन इण्डियन प्राईक्नोग्राफी, ऐन्शियन्ट इन्डिया, जनवरी, १९५०, नं० ६, पृ० ४१ १३. ऐनुअल रिपोर्ट, प्रक्यिोलोजिकल सर्वे ऑफ इन्डिया, १६०९-१०, पृ० ६७ १४. एलीमेन्टस ऑफ हिन्द प्राईक्नोग्राफी, I, i, पृ० १६४, चित्र, LII, I १५. ओसियां के देवालयों में त्रिविक्रम के चित्रण के लिए देखें ऐ० रि०, प्रा० सर्वे ऑफ इन्डिया, १६०८-०६, पृ-११३ १६. प्रा० स० अॉफ इन्डिया, फोटो एल्बम, राजस्थान, चित्र नं० १२८१/५८ १७. व्ही, चित्र नं० १२५३/५८ १७ अ०, व्ही, २२६१/५५ १८. मजूमदार, ए० के०, चालुक्याज ऑफ गुजरात, पृ० ३८१ १६. दी उड़ीसा हिस्टोरिकल जर्नल, १९६२, X, नं० ४, पृ० ७१ २०. बैनर्जी, आर० डी०, हिस्ट्री प्रॉफ उड़ीसा, II, पृ० ३६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |

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