Book Title: Bharatiya Achar Darshan Part 01 Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 2
________________ प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर डॉ.सागरमल जैनपारमार्थिक शिक्षणन्यासद्वारासन् 1997 से संचालित प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य भारतीय प्राच्य विद्याओं के उच्च स्तरीय अध्ययन, प्रशिक्षण एवं शोधकार्य के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को पुनःप्रतिष्ठित करना है। इस विद्यापीठ में जैन, बौद्ध और हिन्दु धर्म आदि के लगभग 15,000 दुर्लभ ग्रन्थ उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त 700 हस्त लिखित पाण्डुलिपियाँ है । यहाँ 40 पत्र-पत्रिकाएँ भी नियमित आती है। इस परिसर में साध-साध्वियों, शोधार्थियों और मुमुक्षुजनों के लिए अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ निवास,भोजनआदिकीभीउत्तम व्यवस्था है। शोधकार्यों के मार्गदर्शन एवं शिक्षण हेतु डॉ. सागरमलजीजनकासतत्सानिध्य प्राप्त है। इसे विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा शोध संस्थान केरुप में मान्यता प्रदान की गई है। प्राकृत भारती : जयपुर प्राकृत भारती अकादमी जयपुर की स्थापना का स्वप्न आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व पद्म भूषण श्रीदेवेन्द्रराजजीमेहताने देखा था। इस संस्था में विगत 30 वर्षों में भारतीय विद्याओं और विशेष रुप से जैन विद्या के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। जहाँ एक और इसके सुन्दर भवन और विशाल ग्रन्थागार का निर्माण हुआ।वहीं दूसरी ओर प्रकाशन के क्षेत्र में भी इसने महत्वपूर्ण काम किया है। भारतीय विद्या के विभिन्न पक्षों पर लगभग 200 से अधिक ग्रन्थ इसके माध्यम से प्रकाशित हो चुके है। भारतीय विधाओं के क्षेत्र में किसी संस्था के द्वारा 200 से अधिक मानक ग्रन्थों के प्रकाशन अपने आप में एक इतिहास है। इस प्रकार आज यह संस्थान को अध्ययन, अध्यापन, शोध और प्रकाशक के क्षेत्र में एक अग्रणीसंस्थान केरुपमें मानाजाताहै। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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