Book Title: Bharatiya Achar Darshan Part 01
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 5
________________ प्रकाशकीय प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर (राजस्थान) एवं प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर के द्वारा 'जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्म-दर्शन के सन्दर्भ में भारतीय आचार- दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, प्रथम भाग (सिद्धान्त - पक्ष ) ' नामक पुस्तक प्रकाशित करते हुए हमें अतीव प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। -3 आज के युग में जिस सामाजिक चेतना, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व की आवश्यकता है, उसके लिए धर्मों का समन्वयात्मक दृष्टि से निष्पक्ष तुलनात्मक अध्ययन अपेक्षित है, ताकि धर्मों के बीच बढ़ती हुई खाई को पाटा जा सके और प्रत्येक धर्म के वास्तविक स्वरूप का बोध हो सके। इस दृष्टिबिन्दु को लक्ष्य में रखकर पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के पूर्व निदेशक एवं भारतीय धर्म-दर्शन के प्रमुख विद्वान् डॉ. सागरमल जैन ने जैन, बौद्ध और हिन्दू आचार- दर्शनों पर एक बृहद्काय शोध-प्रबन्ध आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व लिखा था । उसी के सैद्धान्तिक पक्ष से सम्बन्धित अध्यायों से प्रस्तुत ग्रन्थ की सामग्री प्रणयन किया गया है। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रारम्भ के पाँच अध्यायों में पाश्चात्य नैतिकचिन्तन की समस्याओं के सन्दर्भ में भारतीय दृष्टिकोण और विशेष रूप से जैन- दृष्टिकोण स्पष्ट करने का प्रयत्न किया गया है। परवर्ती अध्यायों में समालोच्य आचारदर्शनों के तत्त्वज्ञान, कर्म - सिद्धांत और मनोविज्ञान पर भी गम्भीरतापूर्वक विचार किया गया है। लेखक की दृष्टि निष्पक्ष, उदार, संतुलित एवं समन्वयात्मक है । आशा है, विद्वत्जन उनके इस व्यापक अध्ययन से लाभान्वित होंगे। प्राकृत भारती द्वारा इसके पूर्व भी भारतीय धर्म, आचारशास्त्र एवं प्राकृत भाषा के अनेक ग्रन्थों का प्रकाशन हो चुका है। पूर्व में यह ग्रन्थ जैन, बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन नाम से प्राकृत भारती के 19 वें एवं 20वें क्रम पर प्रकाशित हुआ था। इसके प्रकाशन में हमें विभिन्न लोगों का विविध रूपों में जो सहयोग मिला है, उसके लिए हम उन सबके आभारी हैं। आकृति प्रेस, उज्जैन ने इसके पुनः मुद्रण-कार्य को सुन्दर एवं कलापूर्ण ढंग से पूर्ण किया, एतदर्थ हम उनके भी आभारी हैं। देवेन्द्रराज मेहता संस्थापक प्राकृत भारती अकादमी जयपुर (राजस्थान) Jain Education International नरेन्द्र जैन सचिव प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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