Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 11
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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१७५ सन्त .... ..... .... १७६ गुरु १७७ कुगुरु १७८ जैनागम शास्त्रानुसार श्रीपूज्य मूरिलक्षण १७९ श्रावक .... १८० जनोन्नति उपायो .... . . .... १८१ अविश्वास्य संगत्याग.. .... १८२ अपूज्य श्री पूज्यनु लक्षण १८३ त्यागीओ !!! आत्मगुण प्रगट करो १८४ आत्मोपयोग .... १८५ आत्मानुं कर्मनी साथे युद्ध १८५ मिष्टभोजन जमो . .... १८७ कुभोजननो त्याग .... १८८ आत्मरस खेल .... १८९ गर्व न कर १९० आत्मा, स्वगुणोने प्रगटाव १९१ पोतानी दशानो विचार कर १९२ लगनी .... .... १९३ प्रभु प्रेम तान. १९४ प्रभुमहावीर मिलन .... १९५ परमात्म महावीरदेव स्तवन १९६ श्री महावीरप्रभुस्तवन. १९७ श्री महावीरप्रभु स्तवन. १९८ कवि लेखकवक्ता. १९९ शुद्धात्म परिणाम. .... २०० मृत्यु अने जीवन. ....
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