Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 11
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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१०
त्याग.
२२ प्रभुपद प्राप्तियोग्य अधिकारीओ. २३ मुखिया सन्त. .... .... २४ गुरुभक्ति. ..... ..... २५ आत्म महावीर प्रभु प्रेम लगनी. २६ आत्म समभाव परिणमन.... २७ आत्मोपयोग धारणा. .... २८ निर्भयात्मा. .... २९ मनवश कर. .... ३० सत्संगति. .... ३१ भीतित्याग. ३२ पोताना दोषोने देख. .... ३३ आत्मा प्रभु बने छे. .... ३४ सिद्धोचाल ! ! पार्छ वळीने न देख. ३५ ब्रह्मचारी था. ३६ मोह मल्लथी कुस्ती. ३७ अलक्ष्यात्मा..... ३८ आरोग्यवान्..... ३९ दुःखीओनी सेवा. ४० मोह साथे युद्ध. ४१ प्रभुमिलन. ४२ प्रभुपद प्राप्ति साधन. .... ४३ प्रभु सन्मुख गमन. .... ४४ आत्मप्रभु प्रगटयानी निशानी. ४५ मुक्तिपन्य. .... .... ४६ परमेश्वर प्रार्थना स्तवन...... ४७ प्रभु सहायनी प्रार्थना स्तवन.
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