Book Title: Bhagwati Sutra Sara Sangraha Part 04
Author(s): Purnanandvijay
Publisher: Jagjivandas Kasturchand Shah

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Page 6
________________ AAMAN ~huhe..thisuall "नावाणी स्तुति" जीयाज्जीयात् सदा जीयाज्जैनीवाणी जगत्त्रये । संसारतापदग्धानां जीवानां सौख्यदायिनी ।।१।। महाधीरा च गम्भीरा त्रिलोकीद्रव्यसाधिका । वाणी तीथंकृतां मान्या देवदानवमानवैः ॥२।। अहंद्वक्त्रप्रसूता या कमौंद्यदाहने क्षमा । मोहक्रोघशमे मुख्या मोक्षमार्ग विधायिका ॥३॥ मन्मतिज्ञानलाभार्थे भाषानुवादगुम्फिता । ब्याख्याप्रज्ञप्ति पूज्या सो पूर्णानन्द' ददातु मे ॥४॥ जैनीवाणी प्रथयतु सुखं मादृशेभ्यो जनेभ्यः, 'पूर्णानन्दा' जिनवरमुखे शोभमाना सदैव पापासक्तैविनयरहितः क्रोधमायासुबद्धः, सेव्या पूज्या नहि भवति या दुर्जनैः सा सतीव ।।५।। પંન્યાસ શ્રી પૂર્ણાનંદવિજયજી (भार श्रभार) RE DISTTA KairiyRANA VALE

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