Book Title: Bhagwati Sutra Part 13
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 2
________________ 7 भगवालु, आलु श्री म. सा. श्वे स्थानवासी 'नैनशास्त्रोद्धार समिति, हे गरेडिया वा रोड, राट, (सौराष्ट्र ). 卐 Published by :, C Shri Akhil Bharat. SS. Jain Shastroddhara Samiti, Garedia Kuva Road, RAJKOT, (Saurashtra), W. Ry, India. ये नाम केचिदिह नः प्रथयन्त्यवज्ञां, जानन्ति ते किमपि तान् प्रति नैप यत्नः । उत्पत्स्यतेऽस्ति मम कोऽपि समानधर्मा, कालो ह्ययं निरवधिर्विपुला च पृथ्वी ॥ १ ॥ પ્રથમ આવૃત્તિ પ્રત ૧૨૦૦ वीर, संवत् २४८५, વિક્રમ સવત ૨૦૨૫ ઇસવીસન ૧૯૬૯ .< 品 हरिगीत च्छन्दः करते अवज्ञा जो हमारी यत्न ना उनके लिये । 4 लिये ॥ जो जानते हैं तत्व कुछ फिर यत्न ना उनके जनमेगा मुझसा व्यक्ति कोई तत्त्व इससे है काल निरवधि विपुलपृथ्वी, ध्यान में यह लायगा ॥ १ ॥ पायगा । फ्र भूस्यः ३. ३५=00 : भुद्र : મણિલાલ છગનલાલ શાહ नवप्रभात, "प्रिटींग” प्रेश धी ंअंटा रोड, अभंड़ावाह,

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