Book Title: Bhagvati Sutra Part 04
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 4
________________ | निवेदन । सम्पूर्ण जैन आगम साहित्य में भगवती सूट विशाल रत्नाकर है, जिसमें विविध रत्न समाये हुए हैं। जिनकी चर्चा प्रश्नोत्तर के माध्यम से इसमें की गई है। प्रस्तुत चतुर्थ भाग में नौ, दस, ग्यारह और बारह शतक का निरूपण हुआ है। प्रत्येक शतक के कितने उद्देशक हैं और उनकी विषय सामग्री क्या है? इसका संक्षेप में यहाँ वर्णन किया गया है - शतक ६ - नौवें शतक में ३४ उद्देशक हैं, जम्बूद्वीप के विषय में प्रथम उद्देशक है ज्योतिषी देवों के सम्बन्ध में दूसरा उद्देशक है, तीसरे से तीसवें उद्देशक तक २८ उद्देशकों में अन्तरद्वीपों का वर्णन है। ३१वें उद्देशक में असोच्चा केवली का वर्णन है। ३२वें उद्देशक में गांगेय अनगार के प्रश्न हैं। ३३वें उद्देशक में ब्राह्मण कुण्ड ग्राम विषयक वर्णन है। ३४वें उद्देशक में पुरुष घातक आदि का वर्णन है। शतक १० - दसवें शतक में ३४ उद्देशक इस प्रकार हैं - १. दिशा के सम्बन्ध में पहला उद्देशक है २. संवृत अनगारादि के विषय में दूसरा उद्देशक है ३. देवावासों को उल्लंघन करने में देवों की आत्मऋद्धि (स्वशक्ति) के विषय में तीसरा उद्देशक है ४. श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के श्याम हस्ती नामक शिष्य के प्रश्नों के सम्बन्ध में चौथा उद्देशक है ५. चमर आदि इन्द्रों की अग्रमहिषियों के सम्बन्ध में पाँचवां उद्देशक है ६. सुधर्मा सभा के विषय में छठा उद्देशक है। ७ से ३४. उत्तर दिशा के अट्ठाईस अन्तरद्वीपों के विषय में सातवें से लेकर चौतीसवें तक अट्ठाईस उद्देशक है। - शतक ११ - ग्यारहवें शतक में १२ उद्देशक हैं - १. उत्पल २. शालूक ३. पलाश ४. कुम्भी ५. नाडीक ६ पद्म ७. कर्णिका ८. नलिन ६. शिवराजर्षि १०. लोक ११ काल और १२ आलभिका। शतक १२ - बारहवें शतक में १० उद्देशक हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं - १ शंख २. जयन्ती ३. पृथ्वी ४. पुद्गल ५. अतिपात ६. राहु ७. लोक ८. नाग ६. देव और १०. आत्मा । - उक्त चारों शतक एवं उद्देशकों की विशेष जानकारी के लिए पाठक बंधुओं को इस पुस्तक का पूर्ण रूपेण पारायण करना चाहिये। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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