Book Title: Bhagvati Sutra Part 04 Author(s): Ghevarchand Banthiya Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh View full book textPage 8
________________ क्रमांक विषय उद्देशक १ ३४३ जम्बूद्वीप उद्देशक २ ३४४ जम्बूद्वीपादि में चन्द्रमा विषयानुक्रमणिका - ३४५ अन्तर्द्वीपक मनुष्य उद्देशक ३ से ३० Jain Education International शतक ९ पृष्ठ १५७२ १५७३ १५७६ उद्देशक ३१ ३४६ असोच्चा केवली ३४७ असोच्चा- मिथ्यादृष्टि से सम्यग्दृष्टि १५६२ ३४८ असोच्चा-लेश्या ज्ञान योगादि १५९५ ३४९ सोच्चा केवली १६०५ १५७९ उद्देशक ३२ ३५० गांगेय प्रश्न- सान्तरनिरन्तर उत्पत्ति आदि १६१४ १६१८ १६५५ ३५१ गांगेय प्रश्न - प्रवेशनक ३५२ संख्यात नैरयिक प्रवेशनक ३५३ असंख्यात नैरयिक प्रवेशनक ३५४ उत्कृष्ट नैरयिक प्रवेशनक ३५५ नैरयिक प्रवेशनक का अल्प बहुत्व १६६६ १६६१ १६६२ क्रमांक विषय ३५६ तिर्यंच योनिक प्रवेशनक ३५७ मनुष्य प्रवेशनक ३५८ देव प्रवेशनक ३५९ प्रवेशनकों का अल्प-बहुत्व ३६० सांतरादि उत्पाद और उद्वर्तन ३६१ केवली सर्वज्ञ होते हैं ३६२ स्वयं उत्पन्न होते हैं ३६३ गांगेय को श्रद्धा पृष्ठ १६६७ १६७० १६७४ १६७७ १६७८ १६८२ १६८४ १६८८ उद्देशक ३३ ३६४ ऋषभदत्त और देवानन्दा १६९० ३६५ जमाली चरित्र १७०५ ३६६ जमाली का पृथक् विहार १७५२ ३६७ जमाली के मिथ्यात्व का उदय १७५४ ३६८ सर्वज्ञता का झूठा दावा १७५८ ३६९ किल्विषी देवों का स्वरूप १७६४ ३७० जमाली का भविष्य १७६८ उद्देशक ३४ ३७१ पुरुष और नोपुरुष का घातक १७७१ ३७२ ऋषि घातक अनन्त जीवों का For Personal & Private Use Only घातक १७७४ ३७३ एकेंद्रिय जीव और श्वासोच्छ्वास १७७७ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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